क्या है यह डेल्टा प्लस वेरिएंट, और कितना खतरनाक है?

जहाँ एक तरफ कोरोना में कमी हमे राहत दे रही है वहीं नए डेल्टा प्लस वेरिएंट ने सरकार सहित नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है।

what is delta plus variant and how dangerous it is in corona virus third wave in india
(NewsGram Hindi)

भारत में दिन-प्रतिदिन कोरोना वायरस के मामलों में कटौती की खबर मिल रही है, किन्तु जहाँ एक तरफ यह बात राहत दे रही है वहीं नए डेल्टा प्लस वेरिएंट(Delta Plus Variant) ने सरकार सहित नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक देश में 40 मरीज ऐसे मिलें जिनमें डेटला प्लस वेरिएंट के लक्षण हैं। भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट(Delta Plus Variant) को variant of concern यानि चिंता का विषय मान लिया है। साथ ही भारत सरकार ने इसे Extra Variant of concern यानि अधिक गंभीर श्रेणी में नजर रखा जाने वाला वेरिएंट माना है। किन्तु अब सवाल यह खड़ा होता है कि,

यह डेल्टा प्लस वेरिएंट है क्या?

यह डेल्टा वेरिएंट बी.1.617.2 स्ट्रेन का एक उत्परिवर्ती अर्थात म्युटेंट वर्जन है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में दूसरी लहर का कारण यही वेरिएंट है, किन्तु इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। आपको बता दें कि डेल्टा प्लस वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। इसे अधिक गंभीर श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि यह तेज रफ्तार में फैलता और इम्युनिटी की मात्रा को शरीर में घटा देता है।

Seropositivity rate, anti-spike antibody titre higher than covaxin in Covishield
टीकाकरण अभियान में गति लाने से इसपर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।(Wikimedia Commons)

चिंता का विषय

भारत सरकार द्वारा दिए गए जानकारी के अनुसार डेल्टा प्लस वेरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं को तेजी से संक्रमित कर सकता है। साथ ही यह संक्रमण को तेजी से बढ़ाने वाला है और शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया धीमी कर सकता है। किन्तु अभी इस वेरिएंट पर शोध जारी है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण तीसरी लहर की समय से पहले आने की आशंका बढ़ गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इन तीन राज्यों को सूचित किया है कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी और जलगांव जिलों के जीनोम अनुक्रमित नमूनों में नया संस्करण पाया गया है; साथ ही केरल के पलक्कड़ और पठानमथिट्टा जिले; और मध्य प्रदेश के भोपाल और शिवपुरी जिले में भी यह नया वेरिएंट पाया गया है। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की 28 प्रयोगशालाओं के एक संघ, INSACOG के हालिया निष्कर्षों पर आधारित है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन तीन राज्य सरकारों को सलाह दी है कि वह INSACOG द्वारा पहचाने गए जिलों और समूहों में तत्काल रोकथाम के उपाय करें और प्राथमिकता के आधार पर भीड़ को रोकने, परीक्षण बढ़ाने और टीकाकरण कवरेज जैसे अन्य COVID प्रोटोकॉल का पालन करें। इन राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि पॉजिटिव व्यक्तियों के पर्याप्त नमूने INSACOG की नामित प्रयोगशालाओं में भेजे जाएं। इससे नैदानिक महामारी विज्ञान संबंधी सहसंबंधों में मदद मिलेगी और राज्यों को आगे मार्गदर्शन प्रदान किया जा सकता है।(SHM)

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