क्यों हो रहा है सोशल मीडिया पर #ArrestKejriwal ट्रेंडिंग?

सर्वोच्च न्यायलय ऑक्सीजन ऑडिट टीम से निकले गए आँकड़े में यह सामने आया है कि दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग को दिखाया था।

In the data released from the Supreme Court Oxygen Audit Team, it has come to the fore that the Delhi government had shown the demand of oxygen four times more than the requirement.
(NewsGram Hindi)

दिल्ली सरकार का एक और झूठ सामने आया है जिसके बाद सोशल मीडिया पर अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी वाला हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायलय ऑक्सीजन ऑडिट टीम के द्वारा दिए गए आँकड़े में यह सामने आया है कि दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग को दिखाया था। साथ ही ऑडिट टीम ने सर्वोच्च न्यायलय को बताया कि दिल्ली को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति ने अधिक कोरोना मामलों वाले 12 राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में संकट पैदा कर दिया था। यह बात सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली सरकार सवालों के घेरे में है।

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने यह मांग कोरोना के दूसरी लहर के समय किया था, जिस समय देश में ऑक्सीजन की जरूरत सबसे अधिक थी। साथ ही जब केजरीवाल और दिल्ली सरकार ऑक्सीजन के लिए हाय-तौबा मचा रही थी। आपको बता दें कि SC द्वारा नियुक्त ऑक्सीजन ऑडिट सब-ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है, “कुल अंतर लगभग चार गुना थी। दिल्ली सरकार द्वारा दावा किए गए वास्तविक ऑक्सीजन खपत (1140 MT) गणना की गई खपत से लगभग चार गुना अधिक थी।”

दूसरी लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अगले आदेश तक दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण और उपयोग के ऑडिट के लिए एक पैनल का भी गठन किया था। जिसके बाद अदालत की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि 700 मीट्रिक टन का अनुमान आवश्यकता से बहुत अधिक था और वास्तविक संख्या 500 से 600 मीट्रिक टन के बीच होगी। इस प्रकार उन्होंने संभावित चोरी और गड़बड़ी की जांच के लिए एक ऑडिट की मांग की थी।

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इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद जहाँ एक तरफ केजरीवाल सरकार बैकफुट पर आ गई है, वहीं अब इस मामले से पल्ला झाड़ने के लिए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यहाँ तक कह दिया है कि ‘ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं’। मनीष सिसोदिया ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र तक घोषित कर दिया है। अब तक तो केजरीवाल सरकार को विज्ञापनों के लिए सर्वोच्च न्यायलय फटकार लगाती थी, किन्तु यह मामला तो और भी अधिक गंभीर है।(SHM)

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