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By: अरुल लुइस
अमेरिका में जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद की छवि एक ‘शांतिदूत’ के रूप में पेश करने में जुट गए हैं।
ट्रंप ने मध्यस्थता कर इजरायल और दो अरब देशों के बीच मध्य-पूर्व में राजनयिक डील कराया, जबकि तालिबान के बीच शांति समझौते का प्रयास किया। साथ ही कतर में अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति समझौता वार्ता में भी अमेरिका की अहम भूमिका है।
उन्होंने मंगलवार को यह कहते हुए कि यह ‘इतिहास के पाठ्यक्रम’ में बदलाव है, राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए इजरायल और दो अरब देशों संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर कराएं।
![Donald Trump acting as peacemaker](https://hindi.newsgram.com/wp-content/uploads/2020/09/Eh-5VT7UMAA5aDu-e1600281079993.jpg)
जहां तालिबान और अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में शांति के लिए वार्ता कर रहे हैं, जिसे लेकर ट्रंप को उम्मीद है कि इससे अफगानिस्तान में संघर्ष खत्म होगा।
तालिबान डील से उन्हें यह घोषणा करने का मौका मिलेगा कि 19 साल बाद अमेरिका उनके नेतृत्व में अफगान से अपनी सेना को निकाल सकेगा और यह 2016 के चुनाव से पहले किए गए उनके वादे को पूरा करेगा।
ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी जोसेफ बाइडन पर इराक में विनाशकारी आक्रमण के लिए समर्थन करने और 40 साल के उनके (बाइडन) राजनीतिक कैरियर में कई अन्य विदेशी संघर्षो, उलझनों को लेकर उन पर निशाना साधा है और खुद के बारे में एक शांतिदूत और ऐसा नेता होने का दावा किया है जो सैनिकों को और ज्यादा देशों में तैनाती पर भेजने के बजाय उन्हें स्वदेश लाता है।
अमेरिकी सेना ने घोषणा की है कि वह नवंबर से पहले अफगानिस्तान और इराक से कई हजार सैनिकों को वापस बुला लेगी, जिससे वहां नाम मात्र के सैनिक रह जाएंगे।
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ट्रंप प्रशासन के तहत, यूरोप में अपने निकटतम सहयोगियों के साथ वाशिंगटन के संबंध थोड़े कमजोर हुए हैं। ट्रंप द्वारा यूरोपीय देशों की लागतार आलोचना करने, उनसे रक्षा खर्च में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और जर्मनी से अमेरिकी सैनिकों वापस बुलाने के निर्णय को लेकर यूरोप के साथ रिश्ते प्रभावित हुए हैं।
उनकी विदेश नीति की डेमोक्रेट नेताओं के साथ ही कुछ रिपब्लिकन नेताओं द्वारा भी आलोचना की गई ।
उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए देश के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के साथ ट्रंप ने बैठकें भी की, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
![Donald Trump and Kim Jong-Un](https://hindi.newsgram.com/wp-content/uploads/2020/09/e9c099678121c685bc48f6a9ed273d12b91841bb.jpg)
चीन ने एशिया में अपना आक्रामक रूप दिखाया और ट्रंप कुछ नहीं कर सके, तो मध्यपूर्व और अफगानिस्तान ही हैं, जहां वह चुनावों से पहले शांतिदूत के रूप में छवि पेशकर परिणाम दिखा सकते हैं।
ट्रंप इजरायली और फिलिस्तीनियों के बीच एक शांति समझौता नहीं करा सके। इसलिए इजरायल और दोनों देशों के बीच समझौता एक सांत्वना पुरस्कार है – लेकिन यह और अधिक अरब देशों के लिए फिलिस्तीनियों के साथ संबंधों को ज्यादा अहमयित नहीं देने और इजरायल को ज्यादा अहमियत देने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि मालूम पड़ता है कि इसे सऊदी अरब की स्वीकृति प्राप्त है।
यह फिलीस्तीन को इजराइल के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भी मजबूर कर सकता है।
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने मंगलवार को कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि उन्हें इन समझौतों से उम्मीद है कि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच नए सिरे से बातचीत होगी। उन्हें यह भी उम्मीद है कि खाड़ी में क्षेत्रीय स्थिरता विकसित होने का यह एक नया अवसर होगा।”
मंगलवार को ट्रंप की मध्यस्थता के बीच बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल्लातिफ बिन राशिद अल-जायन और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।(आईएएनएस)