वैक्सीन विरोधी अफवाहों से बचें : विशेषज्ञ

जब अमेरिका कोविड महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए तैयार है, विशेषज्ञों ने संघीय सरकार और देशवासियों को टीकाकरण के खिलाफ चल रहे अफवाहों और गलत सूचनाओं से बचने की सलाह दी है।

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कोरोना वायरस के टीके से सुरक्षा और प्रभावकारिता 'सर्वोपरि' होनी चाहिए। ( Unsplash )

जब अमेरिका कोविड महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए तैयार है, विशेषज्ञों ने संघीय सरकार और देशवासियों को टीकाकरण के खिलाफ चल रहे अफवाहों और गलत सूचनाओं से बचने की सलाह दी है। हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन इंस्टीट्यूट के अली मोक्कड, बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के पीटर होट्ज और ह्यूस्टन में वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए टेक्सस चिल्ड्रन सेंटर, और एमोरी यूनिवर्सिटी के वाल्टर ऑरेनस्टीन जैसे विशेषज्ञों ने इस मामले में राष्ट्रीय रणनीति बनाने का आह्वान किया है, ताकि भ्रामक सूचनाओं से मुकाबला किया जा सके।

विशेषज्ञों ने “संघीय एजेंसियों और अमेरिकी लोगों के बीच एक अभूतपूर्व स्तर के संवाद” की मांग की है। विशेषज्ञों ने द लैंसेट के ऑनलाइन प्रकाशित एक पत्रिका ईक्लीनिकलमेडिसिन में ये बातें कही हैं। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने शुक्रवार को फाइजर और उसके जर्मन साझेदार बायोएनटेक को देश में पहले कोविड-19 वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 वैक्सीन की पहली खेप सोमवार से अमेरिकी राज्यों में पहुंचनी शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों ने कहा, “हमें इंटरनेट पर एंटी-वैक्सीन संदेशों के व्यापक पहलुओं को पहचानना होगा, जिसमें सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं।”

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“टीका विरोधी अफवाहें, गलत सूचना और षड्यंत्र मीडिया में घूम रहे हैं, उनकी उत्पत्ति अलग-अलग तरह से हो रही हैं और इसमें टीका-विरोधी संगठन और राजनीतिक चरमपंथी समूह भी शामिल हैं।” उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि टीके की सुरक्षा और प्रभावकारिता ‘सर्वोपरि’ होनी चाहिए।

टीकाकरण के संभावित दुष्प्रभावों या प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं को पहचानने और उस पर नजर रखने की जरूरत है।ओरेनस्टीन ने टिप्पणी की कि टीका इस वायरस से सुरक्षा का सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने कहा, “टीका जिदगी नहीं बचाता है, लेकिन टीकाकरण जरूर जिदगी बचाता है।” “शीशी में रहने वाली वैक्सीन का कोई मतलब नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नैदानिक परीक्षणों के क्या परिणाम आए।” (आईएएनएस)

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