Ram Navami: राम को कण-कण में ढूंढा, पर मिले मेरे मन में वो!

भगवान मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम सदा अपने आदर्श एवं प्रेम से भक्ति एवं अच्छाई पर बुराई के जीत का प्रतीक रहे हैं और आगे भी रहेंगे। फिर क्यों लिब्रलधारी तबका राम नाम से चिढ़ता है?

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श्री राम को समझना हर किसी के बस का नहीं।(NewsGram Hindi)

श्री राम कथा को हम सबने सुना और देखा है, अमरचित्र कथा रामायण में श्री राम का जन्म, माता जानकी से विवाह, 14 वर्षों का वनवास, लंकापति रावण का वध ऐसी कथाएं वर्णित हैं। आज के मुश्किल दौर में भी कई लोगों ने दूरदर्शन पर रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण को वापस लाने की मांग की थी। जिसे अब प्रदर्शित भी किया जा रहा है।

किन्तु राम नाम के प्रेम को बढ़ता देख कई सेक्युलरधारियों को अपना धंधा मंदा होता दिख रहा है। उन्हें यह डर सता रहा है कि यदि सभी हिन्दू राम नाम ही लेने लगे तो हमें कौन सुनेगा? इसलिए सेक्युलरधारी, अब हिन्दुओं में ही फूट डालने का खेल रच रहे हैं। वह SC/ST तबके पर अत्याचार की बात भी करते हैं और हिन्दू धर्म से नाता न रखने का भाषण भी देते हैं। मगर उस समय इन लिब्रलधारियों के ज़ुबान पर ताला लग जाता है जब किसी मंदिर में मूर्तियों को तोड़ा जाता है या किसी हिन्दू की निर्मम हत्या कर दी जाती है।

श्री राम को मर्यादापुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने शबरी के झूठे बेर भी खाए थे और राजपरिवार से होते हुए भी उन्होंने केवट से गंगा पार कराने की विनती भी करी थी। राम वह वीर थे जिनके बाणों से रावण को अपनी मृत्यु का ज्ञान था, और उसे इस बात का कण-भर भी डर नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे यह ज्ञात था कि जो स्वयं भगवान के हाथों मरेगा उसे स्वर्ग अवश्य प्राप्त होगा। राम वह पुत्र थे जिन्होंने पिता के आदेश को भगवान का आदेश माना। राम वह राजा थे जिनके रामराज्य का सपना आज भी देखा जाता है।

किन्तु आज के समय, रामभक्तों को इन लिबरलों ने संघी या अंध-भक्त बताना शुरू कर दिया है। Hinduphobia और भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इनका साथ दे रहा तथाकथित लिबरल मीडिया, जिसे toolkit या तब्लीगी जमात पर कुछ नहीं सूझता, मगर पावन पर्व कुम्भ में साधु-संतों के स्नान पर मनगढ़ंत बातें याद आती हैं। यह वह मीडिया है जिसे आसिफ की पिटाई पर हाय-तौबा मचाना आता है किन्तु रिंकू शर्मा की हत्या पर इनके कलम से सियाही का एक कतरा भी नहीं गिरता है।

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अयोध्या राम मंदिर सभी लिब्रलधारी अनोखे मांग कर रहे थे।(Wikimedia Commons)

इन्हीं लिब्रलधारियों ने अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर को हस्पताल या लाइब्रेरी बनाने की मांग की थी, जिसका जवाब हिन्दू समुदाय के लोगों ने जी खोल कर दिया था। यह वह लोग हैं जिन्हें इस बात का दुःख हुआ था कि भगवान पर मज़ाक बनाने वाले मुनव्वर फारुकी को जेल में क्यों डाल दिया गया? लव जिहाद जैसे अपराध पर कानून क्यों लाया जा रहा है? जय श्री राम का उद्घोष क्यों किया जा रहा है? उन्हें यह तकलीफ हो रही है कि मुस्लिम बहुल इलाके में हिन्दू मंदिर में मुसलमानों का घुसना क्यों वर्जित है?

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श्री राम वह पति थे जिन्होंने अपनी पत्नी जानकी की खोज में आकाश-पाताल एक कर दिया था। कई दैत्यों और दानवों का वध किया था। केवल इसलिए नहीं क्योंकि सीता उनकी पत्नी थी बल्कि उनका प्रेम उन्हें इन सब के लिए शक्ति प्रदान कर रहा था। श्री राम के पादुकाओं ने 14 वर्षों तक अयोध्या पर राज किया। यह रामायण कथा जीवन की कथा है जिसमे सुख के साथ दुःख भी है, बुराई पर अच्छाई की जीत भी है। श्री राम और माता जानकी के प्रेम की कहानी है। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे भाइयों का बड़े भाई के प्रति समर्पण और आदर भी है। कुछ इन घटनाओं को काल्पनिक मानते हैं किन्तु अधिकांश इन्हे वास्तविक मानते हैं क्योंकि दुनिया भर में ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि “राम कल्पना नहीं, राम ही संसार है“।

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