एक पल के लिए मान लीजिये की मज़ाक या व्यंग के लिए भी आपको जेल जाना पड़ जाए, फिर? फिर क्या, स्टैंड- अप आर्टिस्ट, व्यंग कलाकार से लेकर ना जाने कितने अभिनेता और संगीतकार सलाखों के पीछे चले जाएंगे।
अपने कला का इस्तेमाल कर सरकार और सिस्टम पर व्यंग के ज़रिये सवाल उठाने का चलन सदियों से चला आ रहा है। लेकिन अब लगता है की इस चलन को या तो बदलने की तैयारी शुरू हो गयी है या फिर लोगों में सेंस ऑफ ह्यूमर की कमी आ गयी है।
ऐसा मैं क्यों बोल रहा हूँ? इसकी वजह है सायबराबाद पुलिस, सोशल मीडिया पर चर्चित व्यंगकार, मेजर नील, और हैदराबद का एक फल वाला जिसने अपने स्टाल पर भगवा झंडा लगा रखा था।
होता कुछ यूं है की हैदरबाद के अतापुर में स्तिथ एक फलवाले ने अपने दुकान पर भगवा झंडा लगा रखा था, जो की संविधान के मुताबिक कहीं से भी गैर कानूनी नहीं है। लेकिन धर्मनिरपेक्षता के एक धुरंधर को ये बात गले नहीं उतरी और उसने इसकी तस्वीर सायबराबाद पुलिस को एक ट्वीट के ज़रिये सौंप दी।
फिर क्या हुआ? साइबराबाद पुलिस ने आनन फानन में इस फलवाले पर कार्यवाही की और उस झंडे को तुरंत नीचे उतरवा दिया गया। इस घटना से सोशल मीडिया पर सायबराबाद पुलिस की जम कर किरकिरी हुई।
इसको सरासर पावर का ‘एब्यूज’ कहा जा सकता है। ट्विटर पर किसी एक व्यक्ति की भावना आहत हो जाने पर दूसरे व्यक्ति का अधिकार छीन लेना कहाँ का न्याय है?
और फिर तब एंट्री होती है मेजर नील की, जिन्हें सोशल मीडिया पर स्किन डॉक्टर के नाम से भी जाना जाता है। मेजर नील पुर्व रिटायर्ड आर्मी डॉक्टर और बहुचर्चित व्यंगकार हैं। उन्होंने इस घटना पर व्यंग के रूप में एक तस्वीर ट्वीट की जिसमे एक अखबार के ज़रिये बताया जा रहा था की “सायबराबाद पुलिस ने शहर में नारंगी की बिक्री पर भी रोक लगा दिया है, क्योंकि नारंगी रंग से मुस्लिम भावनायें आहत हो सकती हैं”। उस तस्वीर के नीचे साफ शब्दों में लिखा गया था की, ये एक व्यंग है।
किसी ने इस तस्वीर को भी साइबराबाद पुलिस तक पहुंचा दिया। उम्मीद थी की पुलिस अपनी समझ का इस्तेमाल कर इसे व्यंग के रूप में लेगी, लेकिन उल्टा सायबराबाद पुलिस ने मेजर नील के खिलाफ फ़र्ज़ी खबर फैलाने का आरोप दर्ज कर लिया।
एक व्यंग को फ़र्ज़ी खबर बताना समझ के परे है। और ये तब हुआ जब उस व्यंग्यात्मकत तस्वीर पर साफ शब्दों में ‘satire by theskindoctor13’ लिख कर स्पष्ट किया गया था की ये एक व्यंग है।
इस घटना पर पूरा सोशल मीडिया मेजर नील के साथ खड़ा नज़र आया। 29 अप्रैल की सुबह तक ट्विटर पर #WeStandWithSkinDoctor पहले स्थान पर ट्रेंड कर रहा था।
इसमे एक कहानी, निजी चैनल इंडिया टुडे से भी जुड़ा हुआ है। इंडिया टुडे द्वारा इस खबर को लाइव टेलिविजन पर चलाया गया जिसमे शो की एंकर मेजर नील के इस तस्वीर को व्यंग बताने की जगह इसे फ़र्ज़ी खबर बताते हुए मेजर नील के आर्मी बैकग्राउंड से जोड़ कर इसे शर्मनाक और घटिया हरकत बताती रही। एक पत्रकार के रूप में जहां इसका खंडन और पुलिस की कार्यवही कि निंदा की जानी चहिये थी वहीं इसको घटिया और शर्मनाक बता कर मेजर नील को बदनाम किया गया।
आपको बता दें की इंडिया टुडे ‘सो सॉरी’ नामक एनिमेटेड व्यंगात्मक सीरीज के लिए भी जाना जाता है, जिसमे एनीमेशन के ज़रिये तंज मारने का प्रयास अक्सर किया जाता है।