तथाकथित एक्टिविस्ट के लिए हिंदुत्व एक खतरा, अपने लेख में बताया हिंदुत्व को अकादमिक स्वतंत्रता के लिए खतरा!

चंद लोग(जो स्वयं को स्कॉलर बताते हैं) ने सीधा-सीधा हिंदुत्व को नफरत का एक रूप कहा है। हिन्दुओं के प्रति घृणा फैलाने में स्वयं हिन्दू ही शामिल हैं।

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Hindutva is a threat to the so-called activist say Hindutva a threat to academic freedom
(NewsGram Hindi)

हिन्दुओं को बदनाम करने की कोशिश लम्बे समय से चली आ रही है और इस षड्यंत्र का साथ देते हैं खुद को स्कॉलर बताने वाले कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी(scholars), जिनका एक ही लक्ष्य रहता है, और वह है हिन्दुओं(Hindu) को अंतराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करना। ‘रिलिजन न्यूज़ सर्विस’ वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में यही देखने को मिला है। चंद लोग(जो स्वयं को स्कॉलर बताते हैं) ने सीधा-सीधा हिंदुत्व(Hindutva) को नफरत का एक रूप कहा है। इस लेख में लिखा है कि “हिंदू(Hindutva) धर्म से अलग, हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है जो लगभग 100 साल पहले की है, जब भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध किया जा रहा था।”

इनके लिए हिंदुत्व(Hindutva), धर्म से बढ़कर एक विचारधारा है जो खतरे के रूप में सामने आया है। इन ‘लिब्रांडुओं’ ने अपने लेख में हिन्दुओ(Hindu) पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि “हिंदू दक्षिणपंथ ने पिछले कुछ दशकों से यू.एस-आधारित विद्वानों पर हमला किया है, अकादमिक शोध को रोकने और बदनाम करने का प्रयास किया है, और यह हमले हाल ही में तेज हुए हैं।”

वेबसाइट पर हिन्दुओं के प्रति घृणा!

स्वयं को एक्टिविस्ट बताने वाले इन ‘लिब्रांडुओं’ ने एक वेबसाइट भी जारी की है जिसका नाम है Hindutva Harassment Field Manual यानि ‘हिंदुत्व उत्पीड़न फील्ड मैनुअल’ जिसके तहत यह उन लोगों की मदद करेंगे जो हिन्दुओं द्वारा किए गए मौखिक या शारीरिक हमलों से पीड़ित हैं। इस वेबसाइट पर हिंदुत्व को जिस प्रकार से बताया गया है, वह और भी चौंका देने वाला है। इन ‘लिब्रांडुओं’ ने हिंदुत्व को एक पार्टी या संघ की विचारधारा बताया है। यह वह लोग हैं जो विदेशों में बैठकर हिन्दुओं को बदनाम करने से भी नहीं चूकते और स्वयं को विद्वान बताते हैं।

यह तथाकथित एक्टिविस्ट विश्वविद्यालयों में ‘प्रोफेसर’ हैं!

आपको बता दें कि इस हिन्दू-विरोधी संगठन से अधिकांश प्रोफेसर जुड़े हुए हैं, जिससे यह आशंका भी पैदा होती है कि यह विश्वविद्यालयों में हिन्दू-विरोधी अजेंडे को फैला रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या इन्होंने अपनी कक्षा को हिन्दू-विरोधी गुट बना दिया है? यह सोचना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस लेख की लेखिका अनन्या चक्रवर्ती इतिहास की प्रोफेसर है और इनका झुकाव इस्लाम की तरफ थोड़ा ज्यादा है। साथ ही एक लिखिका हैं पूर्णिमा धवन, यह भी इस्लामिक स्टडीज की प्रोफेसर हैं, एक और एक्टिविस्ट हैं मनन अहमद जो स्वयं को इतिहासकार बताते हैं, किन्तु जिन्हें हिन्दू धर्म के विषय में रत्ती-भर भी ज्ञान नहीं है।

इस विषय पर कुछ लोगों से ट्वीट कर इस विषय पर आपत्ति भी जताई है।

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अब हिन्दू है कौन इन लीब्रांडुओं को और इनके पीछे दुम-हिलने वालों को समझना चाहिए?

हिन्दू वह धर्म है जिसने न कभी किसी अन्य धर्म पर प्रश्न उठाया है और न किसी अन्य धर्म पर दबदबा बढ़ाया है। हिन्दुओं की प्राथमिकता सदा से विनम्रता एवं आदर के प्रति रही है, किन्तु यदि हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा का प्रण ले लिया तो उन्हें परशुराम बनने से कोई रोक नहीं सकता है। हिन्दू सभी धर्मों का सम्मान करता है, किन्तु यदि उसके धर्म पर प्रश्न उठते है तो वह उत्तर देने के लिए चाणक्य का रूप धरने में भी देर नहीं लगाता है।

आज के लिबरल समय में जब हिंदुओं पर इतने आरोप लग रहे हैं, जब उसे अपनों के द्वारा ही कटघरे में खड़ा किया जाता तब भी एक हिन्द पहले सौहार्द की बात करता है और फिर किसी पर टीका-टिप्पणी करता है।

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