कोराना काल का एक साल : उद्योग-धंधा रहा बेहाल

कोरोना ( corona )  महामारी से मिली आर्थिक चुनौतियों से निपटने में भारत सरकार द्वारा दिखाई गई तत्परता के नतीजतन देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही पटरी पर लौटी। मगर, कोराना काल में संघर्ष कर रहे अनेक उद्योगों की हालत में अब तक कोई खास सुधार नहीं आया है। खासतौर से प्रिंटिंग प्रेस, विज्ञापन और लग्जरी आइटम से जुड़े छोटे-छाटे उद्योग आज भी बेहाल हैं। कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के प्रभाव उपाय के तौर पर पिछले साल 24-25 मार्च की आधी रात को देशभर में पूर्णबंदी यानी पूरा लॉकडाउन ( lockdown ) लागू किया गया था, जिसे एक साल पूरा हो गया है। हालांकि, बाद में लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से जरूरत के मुताबिक, ढील दी गई और उद्योग व व्यापार पटरी पर लौटने लगा, लेकिन आज भी खाद्य-वस्तुओं से जुड़े कारोबार के अलावा अन्य सेक्टरों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

जानकार बताते हैं कि कोरोना काल के बीते एक साल में एमएसएमई सेक्टर के करीब 10 फीसदी उद्योग बंद हो गए और 30 फीसदी से ज्यादा अब तक बंदी के कगार पर हैं। वहीं, कच्चे माल के दाम बढ़ जाने से उद्योग की लागत ज्यादा हो गई है, जिससे उनका प्रोफिट मार्जिन काफी कम हो गया है।

ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बीते एक साल में करीब 10 फीसदी उद्योग बंद हो गए हैं और 30 से 40 फीसदी संघर्ष कर रहे हैं और कब बंद हो जाएंगे कहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कहर के साथ-साथ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से भी दिल्ली-एनसीआर में उद्योग धंधे प्रभावित हुए हैं। परिवहन लागत बढ़ने और कच्चे माल की कीमत में इजाफा होने से कई उद्योग बंदी के कगार पर हैं।

दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन (Industry welfare association )  के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल इंजीनियरिंग उद्योग से जुड़े हैं। उन्होंने भी बताया कि कोरोना काल में तमाम कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे उद्योग पर असर पड़ा है।

बीते एक साल के दौरान एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों के संबंध में उन्होंने बताया कि इनमें से जो बड़े हैं, उनको सरकार द्वारा दी गई राहत का लाभ मिला है जिससे उनको अपने कारोबार को संभाले रखने में मदद मिली है, लेकिन छोटे-छोटे उद्योग जो सरकारी स्कीमों का फायदा लेने से वंचित रहे हैं, उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं और वे बंदी के कगार पर आ गए हैं।

MIGRATORY LABOUR
लॉकडाउन के दौरान घर लौटे मजदूरों में करीब 15 फीसदी अब तक वापस नहीं लौटे हैं। ( Wikimedia Commons )

यह भी पढ़ें: अब स्ट्रॉबेरी की खेती में किसान आजमा रहे हाथ, बढ़ रही है आमदनी!

सहगल ने भी बताया कि दिल्ली एनसीआर के करीब 10 फीसदी छोटे-छोटे उद्योग बंद हो गए हैं।

मजदूरों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि लॉकडाउन ( lockdown ) के दौरान घर लौटे मजदूरों में करीब 15 फीसदी अब तक वापस नहीं लौटे हैं।

कारोबारियों ने बताया कि कोरोना के कारण एहतियाती उपायों के तौर पर सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करने में छोटे उद्योगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
( AK आईएएनएस )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here