महाराष्ट्र : पवनगढ़ दुर्ग के पास खुदाई में मिले 17वीं शताब्दी के तोप के गोले

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में पवनगढ़ किले की प्राचीर के आस-पास के इलाकों की खुदाई में 400 से भी तोप के गोले बरामद हुए हैं। माना जा रहा है कि ये गोले 16वीं-18वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी के शासनकाल के दौरान के हैं।

By : काईद नाजमी 

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में पवनगढ़ किले की प्राचीर के आस-पास के इलाकों की खुदाई में 400 से भी तोप के गोले बरामद हुए हैं। माना जा रहा है कि ये गोले 16वीं-18वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी के शासनकाल के दौरान के हैं।
 

pawangarh fort
पवनगढ़  का किला । ( Wikimedia Commons  )

पवनगढ़  की पहाड़ियों के बीच स्थित उन दुर्गो में से एक हैं जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने कराया था। यह किला पनहला दुर्ग से एक किमी पूर्व में स्थित है। घने जंगलों के बीच स्थित इन दोनों किलों के मध्य से एक छोटी नदी गुजरती है। गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से वन विभाग के अधिकारी और कुछ स्थानीय किला-प्रेमियों की एक टीम इस दुर्ग के आस-पास पर्यटकों के लिए साइनबोर्ड लगाने के उद्देश्य से स्थलों की खुदाई कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें यह गोले मिले।

इस टीम की एक सदस्य मारुति पाटिल ने आईएएनएस को बताया कि ये गोले अलग-अलग वजन के हैं। इनमें से कई 100 ग्राम के तो कई सात किलो के भी हैं। इन्हें 2गुणा3 फीट के आयताकार बक्से में जमीन के तीन फीट नीचे गड्ढों में रखा गया था। उन्होंने बताया कि आगे खुदाई जारी रखने पर इस तरह के और भी गोले मिलने की संभावना है। हालांकि खुदाई का काम एक सप्ताह से चल रहा है, लेकिन गुरुवार दोपहर को ही सबसे पहले तोप के गोले बरामद किए गए। इसके बाद टीम के सदस्यों में कौतुहल और बढ़ गया।

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पाटिल ने कहा कि पहला गोला मिलने के बाद जब हमलोगों ने सुनियोजित ढंग से खुदाई प्रारंभ की तो और भी गोले मिलते गए और दो दिनों में इनकी संख्या 406 तक पहुंच गई। इन तोप के गोलों को पनहला स्थित पुरालेख विभाग के पास जमा करा दिया गया है। इसके बाद पुणे से भी पुरातत्वविदों का एक दल विस्तृत सर्वे के लिए घटनास्थल पर पहुंच गया है। ( आईएएनएस )

 

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