हाल ही में वॉशिंगटन (Washington) कि एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी (Corona pandemic) के इतने महीने गुज़र जाने के बाद, अब डॉक्टर्स को शरीर पर कोविड-19 के वास्तविक प्रभाव के बारे में पता चला है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि, पिछले मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) ने कोविड-19 को एक महामारी के तौर पर घोषित किया था। यह तो पहले ही साबित हो चुका था कि , यह एक घातक और अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। यह एक ऐसा वायरस था, जिससे उस समय सभी अज्ञात थे। किसी भी वैज्ञानिक को इस वायरस की कोई खबर नहीं थी और तब से अब तक वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च के दौरान बहुत कुछ सीखा है। उन्हें पता चला है कि, यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है तथा इसके प्रभाव भी दीर्घकालिक हैं।
डॉक्टर्स ने यह भी जाना की कोविड-19 एक श्वासन रोग है। जो वाइरस (Virus) के प्रभाव में आने के कारण होता है। जिसे आधिकारिक तौर पर SARS-COV2 के रूप में जाना जाता है। यह विश्व भर में दूसरी बार है , जब एक वायरस ने लोगों को बीमार किया और बड़े स्तर पर लोगों की मृत्यु का कारण भी बना। रिपोर्ट के अनुसार , SARS पहली बार नवंबर 2002 में चीन (China) में देखा गया था। वायरस का जो वर्तमान संक्रमण है वो भी चीन (China) में 2019 में उभरा और यही वजह है कि, इसे कोविड-19 कहा जाता है।
डॉक्टर्स ने अनुसार यह वायरस सबसे पहले फेफडों (Lungs) पर हमला करते हैं। शुरू में यह अणुओं को काफी बढ़ा देता है और फिर बेअसर कर देता है। जो हमें संक्रमण से लड़ने में काफी मदद करता है। अधिकांशतः लोग ठीक हो जाते हैं , लेकिन वायरस का प्रभाव पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है और को काफी नुकसान पहुंचता है , जिससे रोगियों को सांस लेने में बेहद मुश्किल होती है। वाशिंगटन(Washington) के हि एक रोगी “थॉमस स्टील (Thomas Steel) ने बताया कि , कोविड-19 की वजह से उन्हें डबल लंग ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) की जरूरत पड़ गई थी। उन्होंने बताया कि यह हॉस्पिटल में बैठ कर सांस और हवा के लिए हांफने जैसा कुछ भी नहीं है और मैंने ये 58 दिनों तक महसूस किया है। ये वायरस फेफड़ों (Lungs) को नुक्सान पहुंचाते हैं। जिससे ऑक्सीजन (Oxygen) का स्तर गिर जाता है और लोगों को सांस लेने में मदद के लिए, वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता होती है।
डॉक्टर्स के अनुसार कोविड-19 के कारण रक्तप्रवाह( Blood Stream) में खतरनाक थक्का (Blood Clot) बन सकता है। जिन लोगों की रक्तवाहिकाएं (Blood Stream) पहले से ही उच्च रक्त चाप (High blood pressure) और स्ट्रीस के कारण पीड़ित है जिन लोगों को हृदय रोग है , उन लोगों में इस गंभीर बीमारी का खतरा काफी अधिक है। ये थक्के पूरे शरीर में बन सकते हैं जिनमें हृदय और फेफड़े दोनों शामिल हैं। थक्के (Blood Clot) के कारण ज्यादातर लोगों को दिल का दौरा या स्ट्रीस भी हो सकता है।
सैन एंटोनियो में टेक्सास स्वास्थ्य विज्ञान केन्द्र के विश्वविद्यालय में “डॉ एलन एंडरसन” (Dr. Allen Anderson) एक बेहतरीन कार्डियोलॉजिस्ट (Cardiologist) में से एक हैं। इन्होंने पाया कि , स्वस्थ दिल वाले लोगों में हृदय की क्षति ज्यादा पाई जाती है।
एंडरसन ने कहा कि , उनके पास रक्त एंजाइम मार्करों की ऊंचाई थी। जो दिल के दौरे के अनुरूप था। हालांकि उनकी कोरोनरी धमनियों में कोई रुकावट नहीं थी लेकिन उनके हृदय के लय में गड़बड़ी थी। वायरस और इसके साथ होने वाले सूजन हृदय के ऊतकों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ नुकसान इसके उलटे भी होते हैं।
डॉक्टर ने यह भी सीखा है कि , वायरस एक और महत्वपूर्ण अंग गुर्दे (Kidney) को भी नुकसान पहुंचा सकता है। न्यूयॉर्क (Newyork) की एक बड़ी चिकित्सा प्रणाली ने पिछले साल 5000 से भी अधिक कोविड रोगियों को देखा है।
हॉफस्ट्र में एक “डॉ झावेरी” / नॉर्थवेल ग्रेट नेक में एक प्रमुख लेखक हैं , जिनके निष्कर्ष , किडनी इंटरनेशनल जर्नल में यह प्रकाशित हुआ है कि, 5,449 रोगियों में से , 36.6 प्रतिशत में तीव्र गुर्दे की विफलता या गुर्दे कि चोट का पता चला है। उन्होंने बताया कि , जिन लोगों को गुर्दे में चोट लगी उनमें से 14 प्रतिशत को डायलिसिस कि जरूरत पड़ गई थी।
वैज्ञानिक अभी भी शरीर पर कोविड के प्रभाव का अध्ययन कर रहें हैं लेकिन सबसे गंभीर प्रभाव फेफड़ों से शुरु होता है क्षतिग्रस्त फेफड़ों में रक्त प्रवाह के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने में काफी वक्त लगता है और अंगों को कार्य करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और यदि ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता तो फेफड़े , गुर्दे , हृदय और यकृत के विफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
कोरोना वायरस के लक्षणों में थकान , सिरदर्द , सांस की तकलीफ या सीने में दर्द जैसी समस्याएं शामिल हैं। कुछ लोगों में मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कतें भी देखने को मिल सकती हैं और अभी भी लोगों में चिंता और अवसान कि भावनाएं देखने को मिलती हैं। कोरोना के लक्षण दीर्घकालीन भी हो सकते हैं लेकिन यह बताना अभी मुश्किल है क्योंकि इसका कोई तरीका अभी नहीं है।
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क्लीवलैंड क्लीनिक के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ “डॉ क्रिस्टीन एंगलंड” (Kristin Englund) ने बताया कि हमें अभी नहीं पता कि कितने मरीज़ इस कोविड के लक्षण से प्रभावित रहेगें। कुछ चिकित्सा केन्द्रों ने लंबे – पतले लोगों का इलाज करने तथा जिनमें कोविड से ठीक होने के बाद भी लक्षण बने रहते हैं , उनके लिए विशेष क्लीनिक शुरू किया है।
लोगों की जीवन अवधि इस कोविड-19 के कारण बहुत काम हो चुकी है। इसने बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है। स्टीन (Stin) ने कहा कि , कोविड महामारी के बाद , में अपने जीवन में कभी भी एक सा व्यक्ति नहीं रह पाऊंगा। (VOA-SM)