ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान” आपने इस लिबरल भजन को जरूर सुना होगा। किन्तु जिन लोगों ने श्री राम को अपने जन्मस्थान से कई वर्षों तक वंचित रखा क्या उनका नाम ‘श्री राम’ के साथ लेना सही है? आपको ध्यान होगा की कई वर्षों तक हमने इस लिबरल भजन(Ishwar-Allah tere naam) को विद्यालय में गाया होगा, इसे हमने कई बार फिल्मी गीत के रूप में सुना होगा, किन्तु कभी यह नहीं सोचा कि इस भजन को हिन्दू-मुस्लिम एकता का चोगा पहना कर इसके वास्तविक भजन को भुला दिया जाएगा। ‘ईश्वर-अल्लाह तेरे नाम’ इस तथाकथित भजन(Ishwar-Allah tere naam) को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक मात्र नेता ‘महात्मा गांधी’ ने हिंदी अनुवाद किया था।
अब आपको बता दें की यह भजन वास्तविक में है क्या? यह भजन है “रघुपति राघव राजा राम” जिसे रामधुन के नाम से भी जाना जाता था। यह भजन श्री लक्ष्माचर्या द्वारा रचित श्री नम: रामायणम् का एक अंश है। जिसके बोल हैं-
किन्तु इस भजन पर हिन्दू-मुस्लिम एकता का चोगा पहनाते हुए ईश्वर-अल्लाह को जोड़ दिया गया। आपको बता दें कि इस्लाम ‘अल्लाह’ से बढ़कर किसी भी भगवान को न तो मानता है और न ही अन्य किसी भगवान को उनसे ऊपर समझता है। इसके विपरीत सनातन धर्म में आप किसी भी रूप में ईश्वर की आराधना के लिए स्वतंत्र हैं। तो सवाल यह कि क्या हम इसे एकता कहेंगे? और यदि यही ‘एकता’ है, तो इस्लामिक किताबों में काफिरों को मारने का और जिहाद करने की बात क्यों लिखी गई है? धर्म के नाम पर अखंड भारत के टुकड़े क्यों बंटवारा हुए थे? और आखिर में जिस धर्म को भारत में ‘अल्पसंख्यक’ कहा जाता है उसमें साल-दर साल तेजी से क्यों विद्धि हो रही है, साथ ही हिन्दुओं की संख्या क्यों घट रही है?
आपके सामने इतने प्रश्न इसलिए रखे गए हैं क्योंकि जिस एकता का ढोंग भजन(Ishwar Allah tere naam) के द्वारा रचा जा रहा है उसे खत्म करना अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह से धर्म परिवर्तन, लव जिहाद, ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण जैसे अपराध को बढ़ाया जा रहा है वह एकता का उदाहरण नहीं है। आज हिन्दुओं को सोच-समझकर अपने विचार रखने होते हैं वह इसलिए क्योंकि हिन्दुओं के प्रति घृणा रखने वाले और स्वयं को लिबरल बताने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी उन विचारों को इस तरह तोड़-मरोड़ कर सामने रख देते हैं, जिससे आपके द्वारा उठाए गए सवाल पर अपराध का शिकार मौलाना या ‘आसिफ’ ही दिखेगा।
गांधी जी ने हिन्दुओं पर क्या कहा था?
‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम ‘ के पीछे मंशा क्या थी, अब इसपर भी विचार करते हैं। हमे बचपन में विद्यालय में यह जरूर सिखाया जाता था कि सभी धर्म एक समान हैं, किन्तु इतिहास को बताते समय केवल एक ही धर्म का बखान किया जाता है। जिन इतिहास के पन्नों में गांधी को महान बताया गया था उन्होंने बंटवारे से पहले हिन्दू-मुस्लिम दंगों को भड़कने के वक्त कहा था कि “आपने मुस्लिम के स्थान पर हिंदू अधिकारी, हिंदू पुलिस और हिंदू सेना की मांग की है। यह झूठा रोना है। आप भूल जाते हैं कि हिंदू अधिकारी, हिंदू पुलिस और हिंदू सेना अतीत में यह(लूटपाट, आगजनी, अपहरण, बलात्कार) सब काम कर चुकी है।”
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आपको बता दें कि कोएनराड एल्स्टो द्वारा लिखित किताब ‘Why I Killed the Mahatma: UNCOVERING GODSE’S DEFENCE’ के अनुसार ‘महात्मा’ गांधी ने एक और भी बड़ा बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हिंदुओं को कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नाराज नहीं होना चाहिए, भले ही बाद वाले(मुस्लिम) उनके अस्तित्व को भी नष्ट करने का मन बना लें।” किताब में यह भी लिखा है कि “गाँधी ने विभाजन के बाद, पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का जिक्र करते हुए, गांधी जी ने कहा, ‘मैंने उनसे पूछा कि वह सभी यहां (दिल्ली में) क्यों आए। वह वहाँ क्यों नहीं मरे? अगर लोग हमें मारते हैं तो हम मर जाते हैं, लेकिन हमें अपनी जुबान पर भगवान के नाम के साथ बहादुरी से मरना चाहिए।”
महात्मा गांधी ने केवल अहिंसा का समर्थन किया, साथ ही यह मंत्र भी बताया कि “अहिंसा परमो धर्मः”, किन्तु इस मंत्र को उन्होंने अधूरा ही बताया। पूरा मंत्र है “अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तथैव च:” अर्थात अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म हैं और जब-जब धर्म पर आंच आये तो उस धर्म की रक्षा करने के लिए की गई हिंसा उससे भी बड़ा धर्म है। इस श्लोक के विषय में हर किसी को ज्ञान नहीं होगा और इसी का लाभ देश का हर एक लिबराधारी उठाता आया है।
देश में हर लिबरल बुद्धिजीवी से ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम ‘ का बखान करते हुए जरूर सुना है, किन्तु हर समय निशाने और सवाल की नोंक पर भगवान को ही देखा है। अल्लाह पर यदि कोई निशाना साधता है तो ‘सर तन से जुदा’ की धमकी दी जाती है।
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