जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भारत बन सकता है ग्लोबल सुपरपावर: गुटेरेस

गुटेरेस ने कहा कि भारत संसाधनों की स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में एक 'ग्लोबल सुपरपावर' के रूप में उभर सकता है।

UN SECRETARY GENERAL
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ।(Wikimedia Commons)

By- अरुल लुईस

 संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को कहा कि भारत संसाधनों की स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में एक ‘ग्लोबल सुपरपावर’ के रूप में उभर सकता है।

ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) के दरबारी सेठ मेमोरियल लेक्चर में कोविड-19 प्रतिबंधों के चलते न्यूयॉर्क से वर्चुअली शामिल होते हुए उन्होंने कहा, “भारत यदि जीवाश्म ईंधन के उपयोग से नवीकरणीय उर्जा पर अपने स्थानांतरण की गति को तेज कर देता है, तो वह जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर पाने की दिशा में सही मायनों में ग्लोबल सुपरपावर बन सकता है।”

भारत के लिए उनके संदेश का केंद्र बिंदु यही था कि देश में बिजली के उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने वाले प्लांट्स के विकास को रोक इसके स्थान पर नवीकरणीय उर्जा के स्त्रोतों पर गौर फरमाया जाए ताकि एक तो ग्लोबल वॉर्मिग और प्रदूषण की समस्या से लड़ने में मदद मिले और साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी लाभ उठाया जा सके ।

भारत के लिए वैश्विक भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “भारत किफायती, भरोसेमंद, लंबे समय तक चलने वाले और आधुनिक उर्जा तक अपनी पहुंच को सुनिश्चित करने के साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर हम सभी के लिए 2030 तक व्यवसाय का केंद्र बन सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “बात जब बिजली उत्पादन और बिना प्रदूषण के स्वच्छता से खाना पकाने की आती है, तो भारत इस मामले में अग्रणी रहा है। सौर उर्जा की मदद से भोजन बनाने की प्रक्रिया को घर-घर पहुंचाकर प्रदूषण को कम करने के इस वैश्विक उपाय का प्रसार करने के लिए मैं भारत और यहां के सभी नवाचारियों, उद्यमियों और बिजनेस लीडर्स का आह्वान करता हूं।”

उन्होंने दुनिया में सौर उर्जा को लाने में मदद करने की पहल के लिए नई दिल्ली की सराहना की।

सौर ऊर्जा को इस्तेमाल पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। (Pixabay)

गुटेरेस ने कहा, “मैं ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ के रूप में अंर्तराष्ट्रीय सौर गठबंधन को आगे लाने में भारत के फैसले की प्रशंसा करता हूं और मैं एक वर्ल्ड सोलर बैंक के लिए भी भारत की योजनाओं की तारीफ करता हूं जिसके तहत आने वाले दशकों के दरमियान सौर परियोजनाओं में सौ करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा।”

दरबारी सेठ, जिनके सम्मान में टेरी द्वारा इस वार्षिक व्याख्यान को आयोजित किया जाता है, वह इसके सह-संस्थापक रहे हैं। गुटेरेस ने उन्हें जलवायु परिवर्तन की दिशा में कार्रवाई करने के मामले में अग्रणी बताया।

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समारोह में गुटेरेस ने साल 2015 में 175 गीगावाट्स से 2030 तक 500 गीगावाट्स तक नवीकरणीय उर्जा की क्षमता के अपने लक्ष्य को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के फैसले का भी स्वागत किया।

कम शब्दों में उन्होंने कहा, “मैं यह देखकर काफी प्रेरित हुआ कि महामारी के वक्त भारत में नवीकरणीय उर्जा के इस्तेमाल का अनुपात बढ़कर 17 फीसदी से 24 फीसदी तक हो गया जबकि कोयले से प्राप्त ईंधन के इस्तेमाल में 77 फीसदी से 66 फीसदी तक कमी आ गई।”

उन्होंने बताया कि यह जारी रहना चाहिए।

उन्होंने बताया कि चूंकि भारत नवीकरणीय उर्जा पर स्थानांतरण को प्राथमिकता दे रहा है, इससे अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय निवेशक इस ओर आकृष्ट होंगे जैसे कि कैसे डे डिपो एट प्लेसमेंट डु क्यूबेक या अबू धाबी निवेश प्राधिकरण जैसे संप्रभु धन निधि या पेंशन निधि।

गुटेरेस ने कहा, “भारत में डालमिया सीमेंट और महिंद्रा जैसी कंपनियां नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन और भी अधिक संगठनों के आगे आने की आवश्यकता है।”(आईएएनएस)

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