राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने पहुंची कांग्रेस पार्टी ने राजीव गांधी को बताया ‘हिन्दू शेर’

रामभक्त बनने के इस होड़ में, युवा कॉंग्रेस के ट्वीटर हैंडल द्वारा एक ऐसा ट्वीट शेयर किया गया जिसमें राम मंदिर निर्माण का पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दे दिया गया।

0
516
congress credits rajiv gandhi ram temple
राजीव गांधी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री (Image: Wikimedia Commons)

दशकों के इंतज़ार के बाद,  राम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर की नींव तो पड़ चुकी है, लेकिन हर उपलब्धि के लिए नेहरू को श्रेय देने वाली कांग्रेस पार्टी,  राम मंदिर का श्रेय लेने में भी पीछे नहीं हटी। जी हाँ, वही कांग्रेस पार्टी जिसके वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, सालों तक राम मंदिर के विरोध में और बाबरी के पक्ष में कोर्ट का केस लड़ते रहे, ये वही कांग्रेस पार्टी है जिसके नेता, श्री राम के अस्तित्व को सालों से काल्पनिक बताते रहे हैं। 

लेकिन भूमि पूजन की तारीख क्या नज़दीक आई, कांग्रेस के बड़े से बड़े दिग्गज नेता खुद को राम भक्त साबित करने के चक्कर में, बड़े बड़े पोस्टर डालने लग गए। लेकिन रामभक्त बनने के इस होड़ में, युवा कॉंग्रेस के ट्वीटर हैंडल द्वारा एक ऐसा ट्वीट शेयर किया गया जिसमें राम मंदिर निर्माण का पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दे दिया गया। 

यह भी पढ़ें: राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी के कौन-कौन से नेता, अचानक बने ‘रामभक्त’? देखें

दिल्ली यूथ कांग्रेस के ट्वीट में राजीव गांधी को राम मंदिर का श्रेय ही नहीं दिया गया, बल्कि राम मंदिर की नींव रखने वाला जननायक भी बताया गया। हालांकि इस ट्वीट को बाद में हटा लिया गया। दिल्ली यूथ कांग्रेस के अलावा ‘दमन एंड दिउ कांग्रेस सेवा दल’ द्वारा भी एक ट्वीट किया गया है जिसमें श्री राम कि एक तस्वीर के साथ लिखा गया है, “मंदिर का फीता काटने वाला कोई भी हो, विवादित स्थल का ताला तोड़ कर उसे मंदिर घोषित करने वाला, एक ही हिन्दू शेर थे! (राजीव गांधी जी)”। इस ट्वीट को भी अब डिलीट कर दिया गया है। 

दिल्ली यूथ काँग्रेस द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट (डिलीट किया जा चुका है)
दमन एंड दिउ काँग्रेस सेवा दल द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट (डिलीट किया जा चुका है)

ये बात सुनने में भी हास्यास्पद है, क्यूंकी कांग्रेस की राजनीति की बुनियाद ही मुस्लिम तुष्टीकरण पर आधारित है। लेकिन अचानक से ये हृदय परिवर्तन क्यूँ देखा जा रहा है? क्या ये काँग्रेस के वैचारिक रणनीति में बदलाव का संकेत है? संभव है। खैर, वो एक अलग चर्चा का विषय है। 

यह भी पढ़ें: ‘ताजमहल’ को सबसे ज़्यादा मनमोहक मानने वालों को इन मंदिरों पर डालना चाहिए एक नज़र, बदल जाएगी सोच

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here