चीन की हवाबाजी, हवा में ही उड़ जाएगी!

1 जुलाई को चीन के कम्युनिस्ट पार्टी(CCP) ने अपना 100वां स्थापना दिवस मनाया, किन्तु चीन यह हवाबाजी और हेकड़ी उसपर ही उल्टा प्रहार करेगी।

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The Communist Party of China (CCP) celebrated its 100th foundation day Chinese Communist Party Xi jinping
(NewsGram Hindi, फोटो साभार: Wikimedia Commons)

1 जुलाई को चीन के कम्युनिस्ट पार्टी(CCP) ने अपना 100वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें हर साल की तरह खोखली शान और सैनिकों को दिखाया गया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग(Xi Jinping) ने अपने अभिभाषण में यहाँ तक कहा कि “चीन को हड़पने वालों की गर्दन तोड़ दी जाएगी।” मगर चीन(CCP) यह खुद भी जानता है कि कोरोना की वजह से ड्रैगन के गर्दन पर अंतर्राष्ट्रीय आलोचनाओं का पैर पड़ा हुआ है और यदि इस पैर पर चीन(CCP) उकसावे का दबाव बढ़ाता है तो ड्रैगन का कुचला जाना निश्चित है।

आपको बता दें कि यह वही चीन(China) है जिसकी वजह से बौद्ध धर्म में पूजनीय दलाई लामा को तिब्बत छोड़ धर्मशाला में शरण लेना पड़ा था। यह वही चीन है जिससे तिब्बत के मूल निवासी आजादी की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरते हैं। पूरा विश्व जिस त्रासदी से जूझ रहा है उसका कारण भी चीन और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी(CCP) है, जिसने कई दिनों तक कोरोना की जानकारी दुनिया से छुपाई और इसे फैलने दिया।

बड़ी कंपनियां चीन खींच रहीं हैं अपना हाथ!

चीन जिस तकनीक की हेकड़ी दिखाता है उसका कारण भी विदेशी कंपनियों का निवेश है, किन्तु यह कहावत तो अपने जरूर सुनी होगी कि ‘सांप को जितना भी दूध पिला लो, सांप, सांप ही रहता है। वह कंपनियां जो कभी चीन(China) में निवेश करने के लिए आतुर थीं, अब चीन की यह हालत हो गई है कि उसे उन विदेशी कंपनियों को रोकना पड़ रहा है। वह कंपनियां अपना निवेश किसी और देश में कर रहे हैं। कई कंपनियों ने तो अपने निर्माण इकाई को दूसरे देशों में खिसकाना भी शुरू कर दिया है। लेकिन चीन(China) की हेकड़ी ऐसी है, जिसका कम होना मुश्किल दिख रहा है।

Chinese Communist Party and Indian Government 
india china relation
भारत और चीन के बीच संबंध बिगड़ने से चीन की छवि विश्व में धूमिल हुई है। (Pixabay)

भारत में भी ऐसी छुटपन पार्टियां हैं जिन्हें चीन में अपनी परछाई नजर आ रही है। जैसे देश की लेफ्ट पार्टियां, जिन्होंने चीन के कम्युनिस्ट पार्टी(CCP) को 100वें स्थापना पर बधाई दी है। जिसमें सबसे आगे हैं सीपीएम के अध्यक्ष सीताराम येचुरी। CCP और सी.पी.एम दोनों में यही समानता है कि दोनों मार्क्सवाद और लेनिनवाद के समर्थक हैं और अंतर यह है कि चीन दुनिया की खरी-खोटी सुन रहा है, और सी.पी.एम देश में अपना अस्तित्व खोज रहा है। नेताओं के साथ प्रेस जगत में भी एक ऐसा भी प्रेस है, जिसने चंद पैसों के लिए चीन की बखान वाले लेख को पूरे पन्ने पर जगह दी, वह प्रेस है ‘द हिन्दू’।

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भारत से टक्कर लेना चीन को पड़ा भारी!

बहरहाल, चीन अब खाई और कुएँ के बीच खड़ा है। जहाँ एक तरफ वह विश्व-भर से कोरोना के लिए खरी-खोटी सुन रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत(India) से टक्कर लेना भी चीन को महंगा पड़ रहा है। बात यह चल रही थी कि दुनिया का कोरोना से ध्यान भटकाने के लिए चीन ने पैंगोंग और गलवान का षड्यंत्र रचा, किन्तु भारत के सूरमाओं ने उसके दाँत खट्टे करने में देर नहीं लगाई। गलवान की झड़प हम सभी को याद है, जिसमें भारत का एक-एक वीर सिपाही कई चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे। अब लगता है कि चीन शायद यह भ्रम में जी रहा था कि भारत पलटकर जवाब नहीं देगा। लेकिन जब ‘नए भारत’ ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना मत स्पष्ट रूप से रखा, तब चीन की हेकड़ी में भी मिमियाने की आवाज सुनाई देने लगी। गलवान झड़प के बाद चीन के बाजार पर जिस तरह भारत के बहिष्कार का हतौड़ा चला, उससे अन्य देशों को भी सबक लेना चाहिए।

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