By: अरुल लुइस
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(Joe Biden), भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) और क्वाड के अन्य नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन करने के लिए तैयारी कर रहे हैं। इसी दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के टॉप अमेरिकी कमांडर ने कहा है कि चीन(China) की आक्रामकता ने वॉशिंगटन और अन्य देशों के साथ रणनीतिक सहयोग करने के लिए नई दिल्ली की आंखें खोल दी हैं। इससे 4 देशों वाले समूह के बीच संबंधों को गहरा करेगा।
यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के हेड एडमिरल फिलिप एस.डेविडसन ने मंगलवार को कहा, “भारत(India) का लंबे समय से सामरिक स्वायत्तता वाला दृष्टिकोण था, जो कि दूसरों के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता। लेकिन मुझे लगता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन(China) की गतिविधियों ने भारत(India) की आंखें खोल दी हैं कि सहयोगात्मक प्रयासों का खुद की रक्षात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या मतलब हो सकता है। हमने उस संकट के समय में भारत(India) को कुछ सूचनाएं उपलब्ध कराईं थीं। साथ ही पिछले कई सालों से हम अपने समुद्री सहयोग को गहरा भी कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि आप जल्द ही देखेंगे कि भारत(India) और बाकी देश क्वोड के साथ अपने संबंधों को गहरा करेंगे।”
क्वाड ने नेता मोदी, बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के योशीहाइड सुगा शुक्रवार को अपने पहले शिखर सम्मेलन के लिए वर्चुअली मिलने वाले हैं क्योंकि वे सभी चीन(China) की ओर से बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं।
डेविडसन ने कहा कि अमेरिका(America) के भविष्य के लिए हिंद-प्रशांत सबसे ज्यादा अहम क्षेत्र है और यह रक्षा विभाग की प्राथमिकता वाला इलाका बना हुआ है। साथ ही कहा कि मुझे बहुत उम्मीद थी कि क्वाड, “लोकतंत्रों का एक हीरा” होगा और यह “दुनिया के लिए कुछ बड़ा काम करेगा”। क्वोड दुनिया में न केवल क्षेत्र के मामले या सुरक्षा के मामले में बल्कि कूटनीति, वैश्विक अर्थव्यवस्था, दूरसंचार और 5 जी जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों के बारे में भी बहुत कुछ लाएगा।
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वहीं कमेटी के चेयरमेन जैक रीड ने कहा है कि भारत(India) और प्रशांत क्षेत्र में अन्य देशों के साथ बढ़ते संबंधों से अमेरिका(America) को चीन(China) से खतरों का सामना करने में इस क्षेत्र से तुलनात्मक रूप से ज्यादा लाभ मिलेगा।
बता दें कि पिछले साल मई में भारत-चीन की विवादित(India-China Conflict) सीमा के पास निर्माण गतिविधियों को लेकर हिंसक झड़प हो गई थी, तब इस मसले पर दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। उसी समय गलवान घाटी(Galwan Valley) में हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे।(आईएएनएस-SHM)