बनारस के गूढ़ ज्ञान को समझाएगा बीएचयू

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब काशी स्टडीज के नाम से पाठ्यक्रम होगा। जिसमे काशी के इतिहास, महत्व और संस्कृति के विषय में बताया जाएगा।

NewsGram Hindi बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
वाराणसी में स्थित बौद्ध मठ 'सारनाथ', बीएचयू छात्रों को सिखाएगा भारतीय संस्कृति का ज्ञान।(Pixabay)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीएचयू में काशी अध्ययन कोर्स संचालित करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी ने दिलचस्पी दिखाई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बातचीत करके इसे जल्द संचालित करने को कहा है। काशी के गूढ़ रहस्य को समझने के लिए लोगों ने इसे समय-समय पर अपने शोध के विषय के रूप में चुना और किताबें लिखी। ऐसे में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब काशी स्टडीज के नाम से पाठ्यक्रम होगा। यह अगले वर्ष जुलाई से शुरू हो जाएगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आध्यात्म और सांस्कृतिक नगरी काशी पर दो वर्षीय पीजी कोर्स की शुरूआत होगी। बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में नए सत्र से काशी स्टडी पीजी कोर्स में काशी को समझने की चाह रखने वाले देशी संग विदेशी छात्र प्रवेश ले सकेंगे। विश्ववविद्यालय प्रशासन ने इस नए कोर्स के लिए मंजूरी दे दी है जो इतिहास विभाग में होगा।

सामाजिक संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि 30 दिसंबर तक विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित कमेटी इस नए कोर्स की रूपरेखा तैयार कर लेगी। जनवरी में कोर्स के इस रूपरेखा को विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद एक्जीक्यूटिव काउंसिल इस पर अपनी फाइनल मुहर लगाएगी।

यह भी पढ़ें: कभी टीपू सुल्तान को राजपथ पर दिखाया था, अब श्री राम दिखेंगे

उन्होंने बताया कि चार सेमेस्टर में छात्र काशी की संस्कृति, इतिहास, परम्परा, धार्मिक महत्व, बनारसी फक्कड़पन, रहन-सहन और काशी की थाती जैसे गुलाबी मीनाकारी, बनारसी रेशम के उत्पाद, बनारसी पान, लकड़ी के खिलौने, लंगड़ा आम को करीब से जान सकेंगे। तुलसीदास, कबीर, प्रेमचंद, बुद्ध, रैदास को भी नई पीढ़ी समझें, ये कोर्स उन्हें इस ऐतिहासिक शहर की धरोहरों की सारी जानकारियों देगी। साथ ही भारत रत्न बिस्मिलाह खां साहेब की शहनाई की तान, पद्म सम्मानित पंडित किशन महाराज की तबले की थाप के साथ ही बनारस घराने की संगीत की सुर, लय और ताल को भी समझने का मौका मिलेगा।

मिश्रा के अनुसार इस कोर्स में नाग-नथ्थया, नक्कटैया, रथयात्रा, भरत मिलाप, सावन, लोटा-भंटा मेला के ऐतिहासिक व आध्यात्मिक तथ्यों को खंगाल कर काशी की संस्कृति का अत्याधुनिक मॉडल प्रस्तुत होगा।(आईएएनएस)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here