उत्तर प्रदेश के एटा जिले के घुंघरू की झंकार पूरी दुनिया सुनेगी। अब यहां के घुंघरुओं की अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मांग बढ़ गई है। यह दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों में भारतीय कलाकारों के हुनर और मेहनत की कहानी कहेंगे। दो साल पहले तक गुमनामी और बेजारी से जूझ रहे एटा जिले के घुंघरू उद्योग में उत्तर प्रदेश योगी सरकार ने नई जान फूंक दी है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल एटा के घुंघरू देश ही नहीं दुनिया को भी अपनी छम-छम से आकर्षित कर रहे हैं। राज्य सरकार भी एटा के कलाकारों के हुनर और मेहनत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पूरी मजबूती के साथ पेश करने में जुट गई है।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि दक्षिण अफ्रीकी देशों के साथ सिंगापुर, मलेशिया, कंबोडिया, साउदी अरब, जार्डन, यूएई और ईराक जैसे देशों में कलाकारों के बीच एटा के घुंघरू की मांग ने सरकार की योजना को पंख लगा दिए हैं। दुनिया के मंच पर मिल रहे इस मौके को हाथों हाथ लेते हुए योगी सरकार ने भारत सरकार के माध्यम से इन देशों को सप्लाई शुरू कर दी है। देश और दुनिया में मिल रहे बाजार और मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने घुंघरू उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं।
एमएसएमई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में ही एटा के घुंघरू और घंटी व्यापार 15 से 20 फीसदी बढ़ा है। ओडीओपी के तहत नए कलाकारों को प्रशिक्षण देकर इंडस्ट्री का विस्तार किया जा रहा है, ताकि देश और विदेश में बढ़ती मांग को पूरी गुणवत्ता के साथ पूरा किया जा सके।
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देश में कोलकाता, आगरा, मथुरा, वाराणसी, मुरादाबाद, कानपुर और दिल्ली के साथ दक्षिण भारत में भी एटा के घुंघरू अपना जलवा खूब विखेर रहे हैं। देश और विदेश में घुंघरुओं की सालाना औसत व्यापार 100 करोड़ को पार कर गया है। मौजूदा दौर में 10 हजार से ज्यादा लोग घुंघरू और घंटी उद्योग से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। ओडीओपी योजना के तहत राज्य सरकार ने उद्योग को बढ़ाने के लिए कलाकारों को 350 करोड़ रुपये के लोन के साथ ही मुफ्त प्रशिक्षण और जरूरी साजो-सामान उपलब्ध करा रही है। ओडीओपी योजना के तहत अब तक करीब 1000 नए युवाओं को प्रशिक्षित कर उद्योग से जोड़ा जा चुका है। हालांकि कुछ परेशानियां भी हैं जो इस उद्योग को और रफ्तार पकड़ने में बाधक बन रही हैं।
कलाकारों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण इंडस्ट्री पर काफी असर पड़ा है। मतीन अंसारी कहते हैं कि अब संभालने की कोशिश हो रही है। सप्लाई के आर्डर जरूर मिल रहे हैं, लेकिन उत्पादन बढ़ाने के लिए आर्थिक तौर पर और सुविधाएं चाहिए। ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) के दायरे में आने के कारण भी घुंघरू इंडस्ट्री थोड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है ।(आईएएनएस)