आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कोरोनावायरस महामारी के बीच अनिश्चितताओं के आलोक में नियामक प्रक्रियाओं के सरलीकरण का आह्वान किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की। आर्थिक समीक्षा में वास्तविक वैश्विक परि²श्य में अनिश्चितताओं के परिप्रेक्ष्य नियंत्रण प्रक्रियाओं को सरल बनाने की बात कही गई है।
समीक्षा में कहा गया है कि भारत में प्रशासनिक प्रक्रियाएं अक्सर प्रक्रियागत देरी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में नियम संबंधी अन्य जटिलताओं से भरी होती है। समीक्षा में कहा गया है कि समस्याओं के समाधान निकालने के लिए प्राधिकारी अक्सर अधिक जटिल नियमों में कम विवेक से काम लेते हैं, जिसके कारण प्रतिकूल परिणाम होते हैं और अधिक गैर-पारदर्शी तरीके सामने आते हैं।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यन द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई तुलनाएं दर्शाती हैं कि भारत की प्रशासनिक प्रक्रियाओं की समस्याएं प्रक्रिया अथवा नियामक मानकों का पालन नहीं करने की तुलना में अधिक नियम बनाने से उत्पन्न होती हैं। समीक्षा में कहा गया है कि ऐसे नियमों का होना संभव नहीं है, जो केवल दुनिया की सभी अनिश्चितताओं और सभी संभावित परिणामों का लेखा रखे। सबूतों से पता चलता है कि भारत अर्थव्यवस्था को अधिक नियमों से चलाता है।
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इसमें कहा गया है, “इसके परिणामस्वरूप प्रक्रिया के अच्छी तरह पालन के बावजूद नियम गैर-प्रभावी हो जाते हैं।” आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि समाधान अधिक जटिल नियमों के साथ निगरानी से बचना है। अंतिम समाधान सरल नियम बनाना है, जो पारदर्शी निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़े हों। सरकार के नीति निमार्ताओं को विवेकाधिकार प्रदान करने के साथ यह जरूरी है कि इन्हें तीन बातों के साथ संतुलित किया जाए ।
1. बेहतर पारदर्शिता
2. संभावित पूवार्नुमानों पर आधारित भविष्य की घटनाओं की मजबूत प्रणाली (जैसे बैंक बोर्ड)
3. घटना से पूर्व समाधान निकालने की व्यवस्था।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जहां कहीं भी ऐसी नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, व्यवसाय की सुगमता में पर्याप्त सुधार आएगा। (आईएएनएस)