कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ( MCA ) ने वित्तवर्ष 2015-20 के दौरान 3.8 लाख से अधिक शेल कंपनियों की पहचान की और उन्हें सरकार की सूची से बाहर कर दिया। राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त व कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि कंपनी अधिनियम, 2013 में ‘शेल कंपनी’ शब्द की कोई परिभाषा नहीं है।
यह सामान्य रूप से सक्रिय व्यवसाय संचालन या महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों के बिना एक कंपनी को संदर्भित करता है, जो कुछ मामलों में अवैध उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है जैसे कि कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व और बेनामी संपत्ति।
सरकार द्वारा ‘शेल कंपनियों’ के मुद्दे को देखने के लिए गठित विशेष कार्य बल ने शेल कंपनियों की पहचान के लिए अलर्ट के रूप में कुछ लाल झंडा संकेतकों के उपयोग की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसी कंपनियों की पहचान करने एवं उन्हें खारिज करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है।
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) March 10, 2021
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ठाकुर ने कहा कि वित्तीय विवरणों (एफएस) ( FS ) के लगातार दो साल या उससे अधिक समय तक दाखिल न होने के आधार पर, ‘शेल कंपनियों’ की पहचान की गई और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद पिछले तीन वर्षों में 3,82,875 कंपनियों को सरकार की सूची से बाहर निकाल दिया।
मंत्री ने आगे कहा कि चालू वित्तवर्ष के दौरान किसी भी कंपनी को सरकार की सूची से बाहर नहीं निकाला गया है।
(AK आईएएनएस )