काशी विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस की कहानी

औरंगज़ेब ने अपने शासन में कई मठ एवं मंदिरों को तुड़वा दिया था, कारण क्या यह कोई नहीं जानता। किन्तु कुछ बुद्धिधारियों ने जो कहानी गढ़ी है उसपर आप भी सवाल खड़ा करेंगे।

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Newsgram Hindi काशी विश्वनाथ मंदिर
प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर। (Wikimedia Commons)

श्री रामजन्म भूमि विवाद सुलझने के बाद देशभर में अब उन सभी मठ एवं मंदिरों के विषय में चर्चाएं हुईं जिन्हे मुगल शासकों द्वारा तोड़ दिया गया था। उनमे से दो प्रमुख मंदिर हैं श्री कृष्ण जन्मभूमि एवं काशीविश्वनाथ मंदिर जिसे उस औरंगज़ेब ने तुड़वा दिया था जिसपर कई मठ-मंदिरों को तुड़वाने का आरोप लगा है। और कमाल है भारत के बुद्धिधारी इतिहारकारों का जिन्होंने बड़ी चतुराई से इस विषय को इतिहास के पन्नों में तोड़-मरोड़ कर लिखा। इन सभी ने खुबजोर कोशिश की सही इतिहास को मिटाने की।

काशीविश्वनाथ मंदिर के विध्वंस के पीछे एक कहानी ऐसी गढ़ी गई है जो सुनने में ही हास्यास्पद है, वह कहानी यह है कि औरंज़ेब बंगाल जाते समय वाराणसी के निकट से जब गुजर रहा था तब उसके काफिले के साथ चल रहे हिन्दू राजाओं ने उससे यह अनुरोध किया कि अगर यह काफिला एक दिन के लिए यहीं पड़ाव डाल दे तो उनकी रानियां गंगा स्नान के उपरांत काशी विश्वनाथ के दर्शन कर लेंगी। और इस अनुरोध को औरंगज़ेब ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। वाराणसी के पांच मील के रास्ते में सेना को तैनात कर दिया गया और सभी रानियों को पालकी से विश्वनाथ मंदिर लाया गया। उन्होंने गंगा स्नान के बाद पूजा-अर्चना की और वापस आ गईं, किन्तु एक रानी (कच्छ की महारानी) नहीं लौंटी। जिसके उपरांत उनकी खोज में सभी जुट गए। जब औरंगज़ेब को यह पता चला तब वह क्रोधित हुआ और उसने वरिष्ठ सैनिकों को रानी की खोज में लगाया। छानबीन के बाद यह सामने आया कि मंदिर में स्थापित गणेश की मूर्ति को हिलाया जा सकता है। और जब उन्होंने गणेश की मूर्ति को हटाया तब उनके नीचे एक तहखाना मिला जिसमे रानी बिना किसी आभूषण के थीं और रो रही थीं। जिसके बाद औरंगज़ेब ने गुस्से में इस मंदिर किसी अन्य जगह स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

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तो दोस्तों कैसी लगी यह कहानी? इस कहानी के रचयिता हैं बी एन पांडेय, कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता एवं ओड़िशा के पूर्व गवर्नर। किन्तु सवाल यह है कि क्या यह कहानी सत्य के थोड़ा भी निकट है। क्योंकि सैनिक का लापता होना माना जा सकता है लेकिन महारानी का अचानक गायब हो जाना संदेह पैदा करता है। यदि यह घटना हुई थी उसका कोई तारिख या वर्ष क्यों नहीं उपस्थित है? कहा गया कि एक महंत ने रानी को अगवा किया और वह सैनिकों और अन्य रानियों के बीच में, वह कैसे? सवाल कई उत्पन्न हो रहे हैं किन्तु जवाब एक का भी उपस्थित नहीं है। ठीक यही कहानी कांग्रेस पार्टी के ही पूर्व नेता पट्टाभि सीतारमैया किन्तु थोड़ा और मिर्च मसाला लगा कर। उन्होंने अपने किताब ‘प्रिसन डायरी’ में यहाँ तक लिख दिया था कि कच्छ की महारानी को खुश करने के लिए औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। यह कहाँ तक सत्य है वह इतिहासकार ही बता सकते हैं किन्तु काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के श्री कृष्णजन्मभूमि पर मस्जिद बनाने वालों को बचाना बंद करें।

आज भारत के इतिहास को पुनर्जीवित करने का समय आन पड़ा है क्योंकि ऐसी एक कहानी नहीं हैं अनेकों कहानियां हैं जिनमे औरंगज़ेब को बचाया जाता रहा है।

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