अमेरिका में हुए एक अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि पाषाण युग (जिसे आज की भाषा में स्टोन ऐज कहा जाता है) में महिलाओं का शिकार में अहम योगदान होता था। पेरू में 9000 पुराने शमशान ने वैज्ञानिकों को इस विषय पर सोचने पर मजबूर कर दिया है। नए अध्ययन में, जर्नल साइंस एडवांस में, पुरातत्वविदों को एक किशोर महिला के अवशेष मिले, जिसके साथ उन्हें शिकार में काम आने वाले वह सभी उपकरण भी मिले।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय डेविस के पुरातत्विक जानकर रेंडी हास ने कहा कि “हम खुदाई स्थल पर व्यक्ति के लिंग को नहीं बता सकते थे, किन्तु हम सभी ने उसे एक पुरुष माना।” वह आगे बताते हैं कि “साइट के आसपास, उन्होंने एक-दूसरे को बताया कि वह एक महान शिकारी रहा होगा या शायद वह एक महान योद्धा होगा। लेकिन प्रयोगशाला में अवशेषों का अध्ययन करने के बाद, एरिज़ोना विश्वविद्यालय के उनके सहयोगी जिम वाटसन ने कहा, “मुझे लगता है कि यह पुरुष नहीं स्त्री है।”
हास ने कहा कि “यह निश्चित रूप से मेरे लिए आश्चर्य की बात थी।” वह आगे बताते हैं कि “अध्ययन किए गए लगभग हर शिकारी संस्कृति में, बड़े जानवर का शिकार विशेष रूप से पुरुषों द्वारा ही किया जाता था और अधिकांश मानव विज्ञानी भी हमेशा से ऐसा ही मान रहे हैं। तो क्या यह अलग मामला है या महिला शिकारी उस युग में आम बात थी?” “इन सवालों के जवाब देना अभी कठिन होगा क्योंकि ऐसे जगह जहाँ खुदाई कर जानकारी हासिल की जा सके वह मिलना बहुत मुश्किल है। हर दिन आपको सफलता हाथ लगे, यह जरुरी नही!” “तो हमने अगला सबसे अच्छा काम किया कि हमने उत्तर और दक्षिण अमेरिका में पिछले आधी सदी से प्रकाशित इस विषय से जुड़े रिकॉर्डों को देखा। और आश्चर्य की बात यह है कि 429 अवशेषों में से, 16 पुरुषों को और 11 महिलाओं को बड़े जानवरों के शिकार में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के साथ दफनाया गया था। जो की हमारे अध्ययन से भी मेल खाता है।”
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हालांकि, महिलाओं की पहचान शिकारी के रूप में नहीं की गई थी। हास बताते हैं कि “कुछ अन्य साइटों पर, उपकरण शिकार में नहीं बल्कि भोजन या कपड़े तैयार करने के उपकरण के रूप में बताए गए थे, जिन्हें महिलाओं का काम माना जाता था। एक मामले में, एक शोधकर्ता ने डीएनए परिणामों को चुनौती दी, जिसने व्यक्ति को स्पष्ट रूप से महिला के रूप में पहचाना क्योंकि शिकार के उपकरण के साथ उसके अवशेष पाए गए थे। हास ने नारीवादी(फेमिनिस्ट) विद्वानों की ओर इशारा करते हुए कहा, वह कह रहे हैं कि “हमें इन बातों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।”
हास बताते हैं कि “9,000 वर्षों में एक शमशान को बहुत कुछ हो सकता है। अवशेष ख़राब हो जाते हैं, और लिंग को पहचानना मुश्किल हो जाता है। किसी व्यक्ति के पास पाए जाने वाले पदार्थ तब नहीं हो सकते थे जब शरीर को दफनाया गया था।” इस अध्ययन का जो कुछ भी नतीजा निकले किन्तु अब तक के शोध से यही अनुमान लगा सकते हैं कि उस युग में महिलाएं भी शिकार करती थीं।