आज पूरा विश्व कोरोना (Corona) जैसी भयानक और जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है। विश्व भर में वैज्ञानिक, शोधकर्ता, कोरोना वायरस को मात देने के लिए दिन – रात प्रयास कर रहे हैं। अपने शोध के माध्यम से प्रभावशाली वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस बीच हमें यह भी याद रखना चाहिए कि, इससे पहले भी ऐसे कई घातक बीमारियां रह चुकी है, जिसने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था। लेकिन उन सभी बीमारियों से आज बड़े हद तक लड़ा जा चुका है।
ऐसे ही इतिहास में बहुत समय पहले एक जानलेवा बीमारी HIV- AIDS फैली थी। यह असुरक्षित यौन संबंधों से होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। उस वक्त AIDS ने बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित किया था। जिसके बाद लंबे समय तक चले वैज्ञानिकों के शोध के बाद इस बीमारी के खिलाफ वैक्सीन बनाने में कामयाबी मिली थी और इसलिए HIV- AIDS के टीकाकरण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 18 मई को विश्व AIDS टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन इसलिए भी मनाया जाता है, ताकि उन सभी वैज्ञानिकों को धन्यवाद किया जा सके, जिन्होंने इस बीमारी के खिलाफ वैक्सीन की एक सफल खोज की थी। इस वर्ष विश्व AIDS दिवस की थीम “वैश्विक एकजुटता” है।
भारत में AIDS का इतिहास काफी पुराना हो चुका है। लेकिन आज भी लोगों में AIDS को लेकर जागरूकता बहुत कम है। लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज करते है। कई लोग अब भी इस बीमारी को बताने से डरते हैं। आज भले ही विज्ञापनों, समाचार पत्रों और टीवी आदि के माध्यम से इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। लेकिन लोग अब भी इस बीमारी से डरते हैं और इसे छुपाते हैं। AIDS एक बीमारी जरूर है, लेकिन अब यह उतनी जानलेवा नहीं है, अगर समय पर इसका इलाज कराया जाए। इस बीमारी का इलाज अब संभव है और यही बात लोगों को समझाने के लिए इस दिन विभिन्न संस्थाएं मिलकर यह काम करती हैं। हालांकि अभी तक भी HIV को पूरी तरीके से खत्म करने के लिए कोई दवा नहीं है, लेकिन टीके के माध्यम से इससे बचाव किया जाता है।
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इतिहास क्या है?
विश्व AIDS टीकाकरण दिवस पहली बार 18 मई 1998 में मनाया गया था। अमेरिकी (America) राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) ने आज ही के दिन 1998 में मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में एक संदेश दिया था। इसी संदेश के आधार स्वरूप विश्व AIDS टीकाकरण (Vaccination) दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया था। बिल क्लिंटन ने कहा था “हम एक दशक में AIDS को टीके के माध्यम से खत्म करने का सफल प्रयास करेंगे।” क्लिंटन ने अपने संदेश के माध्यम से लोगों में इस बीमारी को लेकर को जो भय था उसे दूर करने का प्रयास किया था। उन्होंने उस समय पूरे विश्व को विश्वास दिलाया था कि, हम इस बीमारी को हरा सकते हैं।
इसलिए तभी से टीके की निरंतर आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल इस दिन को यानी 18 मई को HIV वैक्सीन जागरूकता दिवस या विश्व AIDS टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह दिन हमें इसलिए भी याद करना चाहिए की ऐसी कोई बीमारी नहीं है, जिसका इलाज संभव न हो। HIV से भी लड़े थे, कोरोना से भी जीतेंगे। कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही इस जंग में भी सम्पूर्ण विश्व को सफलता जरूर मिलेगी।