World AIDS Day : 34 साल पहले मिला था भारत में पहला HIV वायरस

लोगों को एचआईवी संक्रमण के बारे में जागरूक करने की मंशा से विश्व भर में हर साल वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है।

World AIDS Day 2020
कोरोना काल के आ जाने से HIV मरीजों के लिए चल रहे कार्यक्रमों पर रोक लग गयी है। (Wikimedia Commons)

लोगों को एचआईवी संक्रमण के बारे में जागरूक करने की मंशा से पूरे विश्व में हर साल वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है। 1988 में पहली बार इस मुहिम की शुरुआत हुई थी।

इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम है ; “Ending the HIV/AIDS Epidemic: Resilience and Impact”, इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उन सभी लोगों का धन्यवाद किया है जो HIV के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आकड़ों की मानें तो 2019 में 690,000 लोग एचआईवी से संबंधित कारणों की वजह से मृत्यु को प्राप्त हो गए। भारत में इसके मौजूदा हालातों पर नज़र डालें तो राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) ने अनुमान लगाया है कि 2017 में भारत में 2.14 मिलियन लोग HIV / AIDS से संक्रमित थे।

पर क्या आप जानते हैं कि भारत में पहली बार कब और कहाँ, HIV वायरस की पुष्टि की गयी थी।

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चेन्नई की सेक्स वर्कर महिलाओं में हुई थी HIV की पुष्टि

इतिहास को थोड़ा पलट कर देखें तो भारत में पहली बार एड्स(AIDS) सम्बंधित मामले की पुष्टि चेन्नई में हुई थी। 1986 में डॉक्टर और माइक्रोबायोलॉजिस्ट सुनीति सोलोमन ने महिला चिकित्सक सेल्लप्पन निर्मला के साथ मिल कर चेन्नई की सेक्स वर्कर महिलाओं की बस्तियों में जाकर करीबन 200 ब्लड सैंपल इकट्ठा किए। असल में सेल्लप्पन निर्मला, डॉ सुनीति की स्टूडेंट थीं। दोनों द्वारा कलेक्ट किए सैम्पल्स को वेल्लूर प्रयोगशाला में भेजा गया। वहां से आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि 200 सैम्पल्स में से 6 सैम्पल्स में HIV वायरस मौजूद है। इस बात पर पूरी तरह से दृढ़ होने के लिए सुनीति ने उन सैम्पल्स को जाँच के लिए अमेरिका भेजा। वहां से भी उन 6 ब्लड सैम्पल्स में HIV वायरस के होने की बात कही गयी।

यह उस समय की बात है जब हमारे देश में सेक्स को लेकर इतनी जागरूकता नहीं थी और ना ही लोग खुल कर इन मुद्दों पर बात किया करते थे।

Doctor and microbiologist Suniti Solomon
दिवंगत डॉ सुनीति सोलोमन को 2017 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। (Facebook)

बहरहाल, 1986 के बाद भारत में लगतार HIV के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाने लगी। जिसका परिणाम यह हुआ कि सरकार ने 1992 में HIV और AIDS की रोकथाम से संबंधित नीतियों की देखरेख के लिए NACO (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) और NACP (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम) की स्थापना की।

आज भारत में लोग HIV/AIDS को लेकर जागरूक भी हैं और कई लोग इस बीमारी से संक्रमित होने के बावजूद खुशहाल ज़िन्दगी जी रहे हैं।

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मगर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में कोरोनाकाल के आ जाने से HIV/AIDS के मामलों में काफी बढ़त हो सकती है। क्योंकि कोविड-19 के आ जाने से HIV/AIDS मरीजों के लिए चल रहे वैश्विक अभियानों और कार्यक्रमों पर रोक लग गयी है। ऐसे में HIV मरीजों के लिए यह संकट का विषय बन चुका है।

World AIDS Day के अवसर पर UNAIDS ने कोरोना के आ जाने से अपना डर व्यक्त करते हुए लोगों को कोरोना और एचआईवी से एक साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया है।

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