सावधान! ठण्ड बढ़ा सकती है संक्रमण का खतरा

ठंड धीरे धीरे हर तरफ दस्तक दे रही है और साथ ही साथ कुछ खतरों को भी आमंत्रण दे रही है और सबसे बड़ा खतरा है कोरोना संक्रमण का, जो कि ठंड में बढ़ सकता है।

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Covid 19 pandemic in winter ठंड में कोरोना
अभी कोरोना महामारी पर काबू नहीं पाया जा सका है और ठंड में इसके बढ़ने के आसार ज़्यादा हैं। (Pixabay)

एक अनुमान के अनुसार कोविड-19 का संक्रमण दर ठण्ड में बढ़ सकता है। अगर हाल की बात करें तब वैश्विक स्तर पर कोरोना के 330,000 लोग हर दिन इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।

केवल अमरीका में एक दिन का संक्रमण रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है, जो कि 64,000 है। चिंता की बात यह है कि अभी ठंड का शुरुआती दौर चल रहा है और संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सका है।

विश्व स्वास्थ संगठन के यूरोपीय निदेशक हंस क्लूज ने कहा है कि यूरोपीय महाद्वीप पर 1000 से ज्यादा लोग हर दिन कोरोना की वजह से जान गवा रहें हैं और पिछले 10 दिनों में 1 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की पहचान की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी के असर पर हम ठंड में भी काबू पा सकते हैं यदि हर नागरिक मास्क का पहनना मौजूदा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत कर दे और सभी सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन करे।

अमरीका के एक शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फॉसी ने कहा कि अमरीकियों को दो से तीन बार अपनी योजनाओं पर सोचना होगा, जब नवम्बर के अंत में थैंक्सगिविंग के लिए वह अपने परिवार के साथ सार्वजनिक परिवाहनों में सफर करेंगे। यह खतरनाक भी हो सकता है।

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एक मीडिया साक्षात्कार में फॉसी ने यह भी कहा कि जिन लोगों को पहले से अन्य बीमारियां हैं या जिनके घर पर वृद्ध हैं उन्हें ज़्यादा संभल कर रहने की ज़रूरत है और उन्हें इस महामारी के खत्म होने तक इंतज़ार करना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि इस समय हमें परिवार एवं अपने स्वास्थ के बारे में सोचने की ज़रूरत है।

भारत में हाल ही में त्योहारों का सीज़न शुरू हुआ है जिस वजह बाजार के काम, मेहमानों का आना-जाना बढ़ सकता है और अभी कोरोना महामारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है इसलिए हमे सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है और आस-पड़ोस के लोगों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। और तो और इस वक्त फेक और मनगढ़ंत खबरों का भरमार लगा हुआ है जिससे हमे बचने की आवश्यकता है और आगे फैलने से रोकने की जरूरत है।

आखिर में “हम सतर्क तो, देश सतर्क”

यह आर्टिक्ल VOA पर छपे एक अंग्रेज़ी लेख से प्रेरित है।

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