दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली तेजी से सिकुड़ रहा है|

दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली (Majuli) के मतदाता अपना रुझान असम (Assam) के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) की ओर दिखा रहे हैं। सोनोवाल इस आदिवासी गढ़ सीट से दोबारा चुनावी मैदान में हैं।

ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) के अशांत पानी से घिरी हुई इस सीट पर भाजपा का मुकाबला 3 बार के कांग्रेस विधायक राजीब लोचन पेगु से है। लेकिन माजुली के अनुसूचित जनजाति के आरक्षित मतदाताओं ने सोनोवाल पर अपना भरोसा जताने और पिछले 5 सालों की उनकी लोगों के लिए दिखाई गई प्रतिबद्धता को नवाजने का फैसला किया है। माजुली में शनिवार को पहले चरण में ही मतदान होना है।

राज्य में कुल 126 सीटें हैं और पहले चरण में 47 सीटों पर मतदान होना है। यह तय करेगा कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन यहां सत्ता बरकरार रख पाता है या कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाला समूह वापसी करने में कामयाब होता है।

मतदान को लेकर नागनचुक गांव के कमलेश्वर नोरोह कहते हैं, “हमने फिर से सोनोवाल (Sonowal) को वोट देने का फैसला किया है। उन्होंने 2016 से अब तक में माजुली के लोगों के लिए बहुत काम किया है।” नोरोह असम की प्रमुख माइजिंग जनजाति से हैं और माइजिंग जनजाति का माजुली में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। इसने हमेशा कांग्रेस का समर्थन किया है लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से वे भाजपा के प्रति अपनी वफादारी दिखा रहे हैं।

इसी तरह पोटियारी गांव की कट्टर कांग्रेसी समर्थक श्रीमंता सैकिया कहती हैं, “सर्बानंद सोनोवाल ने 2016 में माजुली को जिले का दर्जा दिया, जो लंबे समय से यहां के लोगों की मांग थी। लिहाजा लोगों में उनके प्रति बहुत सम्मान है, हालांकि कांग्रेस उन्हें कड़ी टक्कर दे रही है।”

असम राज्य में कुल 126 सीटें हैं और पहले चरण में 47 सीटों पर मतदान होना है। (ट्विटर)

माजुली (Majuli) को लेकर एक चिंताजनक बात यह है कि यह तेजी से सिकुड़ रहा है क्योंकि ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) के कटाव ने पिछले सालों में इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट कर दिया है और ऐसी आशंका है कि यह नदी द्वीप जिला, 2050 तक इतिहास का हिस्सा बन जाएगा। 20 वीं शताब्दी की शुरूआत में जहां माजुली 880 वर्ग किमी में फैला था, अब वह घटकर लगभग 350 वर्ग किमी में सिमट गया है। हाल के सालों में तो इसके क्षरण की गति खतरनाक रूप से तेज रही है।

वैसे तो माजुली हमेशा से पर्यटकों (Travellers) के लिए और मुख्य रूप से बर्ड वॉचर्स के लिए एक ड्रीम डेस्टिनेशन रहा है, लेकिन इतना लोकप्रिय होने के बाद भी सड़क संपर्क यहां का बड़ा मुद्दा है। यहां के निवासी दुनिया के बाहर के लोगों से जुड़ने के लिए नौकाओं पर ही काफी हद तक निर्भर हैं। हालांकि जोरहाट जिले से जोड़ने के लिए नदी पर 2-लेन पुल का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है, जो यहां के लोगों की हमेशा से मांग रही है।

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इसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि माजुली-जोरहाट पुल के लिए सभी औपचारिकताएं हो गई हैं। इसका ‘भूमि पूजन’ पहले ही हो चुका है और निर्माण कार्य भी जल्द ही शुरू होगा। (आईएएनएस-SM)

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