उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें बुनियादी सुविधाओं से जोड़ा है। यही वनटांगिया अब पहली बार ग्राम पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में जब इन गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया तो उसके बाद से इन्हें मूलभूत सुविधाएं भी मिलने लगीं। गांव में स्कूल बना तो राशन कार्ड से राशन मिलने लगा। बिजली, सड़क, पानी, आवास जैसी सुविधाएं इन लोगों को मिलने लगीं। साथ ही पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग पेंशन योजनाओं का लाभ भी मिलने लगा।
गोरखपुर जिले में वनटांगिया ग्राम जंगल तिनकोनिया नम्बर 3 को राजस्व ग्राम घोषित कर जंगल तिनकोनिया नम्बर 2 ग्राम पंचायत से सम्बद्ध किया गया है, जबकि तीन वनटांगिया ग्राम आमबाग रामगढ़, रामगढ़ उर्फ रजही खाले टोला और रजही उर्फ रामगढ़ सरकार को राजस्व ग्राम रामगढ़ उर्फ रजही से सम्बद्ध किया गया है। ये दोनों ग्राम पंचायतें चरगांव ब्लाक में आती हैं, जबकि पिपराइच ब्लाक का वनटांगिया ग्राम चिलबिलबा को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर चिलबिलवा ग्राम पंचायत से सम्बद्ध किया गया। इन वन ग्राम में तकरीबन 950 घर आबाद हैं। इसी तरह महराजगंज के 18 वनटांगिया ग्राम के 3779 परिवार भी गोरखपुर के वनटांगियों की तरह आजाद भारत में पहली बार ग्राम पंचायत के चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय ने बताया कि, “वर्ष 2017 के पहले वनटांगिया गांव राजस्व ग्राम का दर्जा हासिल नहीं था। इसलिए सरकार की योजनाएं भी इनके लिए दूर की कौड़ी थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें राजस्व ग्राम का दर्जा दिया तो इन गावों की दशा एवं दिशा ही बदल गई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अभियान चला कर इन वनटांगिया गांव में आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।”
लोकतंत्र में अगर आप वोटर हैं तभी आपकी पूछ है। वनटांगिया तो आजाद भारत के नागरिक ही नहीं थे। वोटर होना तो दूर की कौड़ी। फिर भी योगी बतौर सांसद वर्षों से इनकी सुध लेते रहे हैं। वह संसद में इनकी आवाज बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इनके और इनके जैसे अन्य समुदायों के गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने के साथ उनको केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं से संतृप्त किया।
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देश के अंदर आजादी के पूर्व वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ब्रिटिश सरकार ने वन्य ग्राम (वनटांगिया गांव) बसाए थे। इन गांवों का उद्देश्य ग्राम समाज और सरकार की गैरजरूरी भूमि पर वन लगाने, उनकी सुरक्षा और उनका विकास करना था। इसके बदले में सरकार ने उन्हें कुछ जमीन दी थी, लेकिन आजादी के बाद इन लोगों का कोई पुरसाहाल नहीं रहा। इस समुदाय के लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, गोंडा समेत कई जिलों में वास कर रहे हैं। अब इनको विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का काम योगी सरकार कर रही है।(आईएएनएस-SHM)