वेतन के लिए MCD कर रही है त्राहिमाम, केजरीवाल हैं उड़ा रहे विज्ञापनों के जाम!

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च करने पर और विपदा के समय में MCD के कर्मचारियों को वेतन न देने पर फटकार लगाई है।

सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च करने पर और विपदा के समय में MCD के कर्मचारियों को वेतन न देने पर फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने यह साफ और कड़े लहजे में कहा कि “हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देने पर खर्च कर रही है। लेकिन कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दी जाती है।” 

इसी के साथ कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि, विपदा की घड़ी में कर्मचारियों का वेतन रोकना क्या अपराध नहीं है? और ‘आप’ विज्ञापनों पर इतना पैसा खर्च कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए यह कहा की आप नगर निगम के पैसा देने पर आभाव या वित्तीय संकट की बात करते हैं, किन्तु आपको उस समय कोई समस्या नहीं होती है जब विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं। साथ ही, हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बिना कोई मोहलत देते हुए यह आदेश दिया है की वह सभी निगमों को बकाया धन किसी भी हाल में दें। 

ऑप इंडिया के न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, तेजपाल सिंह द्वारा दायर आरटीआई से यह ज्ञात हुआ है कि दिल्ली सरकार ने पिछले 4 सालों में यानि 2015-19 में एक भी फ्लाईओवर या हस्पताल का निर्माण नहीं करवाया है। इसका मतलब यह है कि जिस विश्वस्तरीय दिल्ली का वादा किया गया था उस दिल्ली में तो काम का चक्का ही जाम है। न तो किसी अस्पताल को इस बीच अनुदान दिया गया और न ही निर्माण कार्यों में पैसा खर्च हुआ, तब सवाल यह कि पैसा गया कहाँ? इसका जवाब दिया है नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने, उन्होंने आरटीआई में पूछे गए सवालों के जवाब को ट्विटर पर पोस्ट करके यह लिखा कि “RTI से खुलासा हुआ कि 1 अप्रैल 2015 से लेकर 31 मार्च 2019 के बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने ना ही किसी हॉस्पिटल को अनुदान दिया और न ही किसी नए फ्लाईओवर का निर्माण करवाया। बस झूठे विज्ञापन दे-दे कर जनता को मूर्ख बना लिया और जनता भी इसकी बातों में आ गई।”

पिछले वर्ष भी दिल्ली सरकार पर डॉक्टरों के वेतन न देने के आरोप लगे थे, वह भी तब जब कोरोना महामारी दिल्ली को अपने चपेट में ले चुकी थी और ‘कोरोना वारियर्स’ इस आपदा से निपटने के लिए जी-जान से मेहनत कर रहे थे। कांग्रेस नेता हारून युसूफ ने तो दिल्ली सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उसने विज्ञापनों पर 611 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 

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केजरीवाल सरकार पर पहले भी विज्ञापनों पर अंधाधुंध पैसे खर्च करने के आरोप लग चुके हैं और इस समय यह दिल्ली हाई कोर्ट की सुनवाई और यह RTI दिल्ली सरकार के लिए नई मुसीबत बनकर आई है।(SHM)

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