मंदिर की चौखट पर भगवान बिखरे पड़े हैं और हमारे विश्वास का भी कुछ ऐसा ही हाल है; आंध्र प्रदेश में हाल ही में भगवान की मूर्तियों का और हमारी आस्था के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। क्या आस्था में भी एजेंडा दिखाना आंध्र प्रदेश में आम बात बन चुकी है? ऐसा इसलिए कि 19 महीने में 120 मंदिरों पर हमला कर वहाँ की सम्पत्ति और भगवान की सैकड़ों साल प्राचीन मूर्तियों को तोड़ना एक साजिश का नतीजा लग रही है। और यह आंकड़ा केवल एक प्रदेश का है।
हाल ही में 28 दिसम्बर 2020 को Andhra Pradesh के विजयनगरम जिले में भगवान श्री राम की मूर्ति को हानि पहुँचायी गई थी। जिसके 2 दिन बाद ही राजमहेंद्रवरम में सुब्रह्मण्येश्वरा भगवान की मूर्ति के हाथ और पैर को तोड़ दिया गया था। साथ ही साथ 3 जनवरी 2021 को विजयवाड़ा के सीता-राम मंदिर में माता जानकी जी के मूर्ति को टूटा हुआ जमीन पर पाया गया। एक ही हफ्ते में तीनों घटनाएं योजनाबद्ध और तनाव बढ़ाने की भावना से की गई साजिश लग रही है।
सनातन संस्कृति क्या किसी मंदिर या किसी अन्य धर्म के मठ को तोड़ने की अनुमति देती है? तो इसका जवाब होगा नही! क्योंकि धर्म आपको सद्भाव एवं सद्बुद्धि प्रदान करती है। किन्तु आज के समय में ऐसी विचारधारा ने भी जन्म लिया है जिन्हे अपने ही धर्म से आपत्ति है।
इससे पहले धर्म और संस्कृति पर स्टैंड-अप के जरिए मज़ाक उड़ाया जा रहा था और अब मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करके आस्था पर अंकुश लगाने की कवायद चल रही है। जिसका विरोध सड़कों पर एवं सोशल मीडिया जैसे विभिन्न मोर्चों पर देखा जा रहा है। हाल ही में ट्विटर पर #saveAndhratemple, #savehindutemple जैसे हैश टैग ट्रेंडिंग पर रहे हैं, और भारी संख्या में युवाओं ने इस से जुड़े पोस्ट भी साझा किए।
टीडीपी सुप्रीमो एवं Andhra Pradesh के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि “पिछले 19 महीनों में मंदिरों पर 120 से अधिक हमले हुए। ये हमले एक पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार चल रहे थे। ‘जगन रेड्डी’ ईसाई हो सकते हैं। लेकिन यह सोचकर कि वह इस शक्ति का उपयोग हिंदुओं के धर्मांतरण के लिए कर सकते हैं, तो यह गलत है।”
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Andhra Pradesh के राम मंदिर पर हुए हमले को देखते हुए ट्विटर पर The Sanatan द्वारा ट्वीट किया जाता है कि “राम मंदिर पर हुए अत्याचार की घटना पर अब पुलिस हिंदू पुजारियों को परेशान कर रही है ताकि उन्हें किसी भी विरोध से बचाया जा सके। आम तौर पर आंध्रवासियों को रूढ़िवादी और धार्मिक माना जाता है, लेकिन जब उनकी मूर्तियों को उजाड़ा जाता है तो मैं उनकी मृत चुप्पी से स्तब्ध हूँ।”
इन हमलों ने न केवल हिन्दू आस्था से लगाव रखने वालों पर आघात किया है बल्कि Andhra Pradesh में एक क्रम से हफ्ते भर में तीन मंदिरों पर हमलों ने सबको सरकार और कानून की चुप्पी पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।