यूपी की ग्रामीण महिलाएं तरक्की के रास्ते पर

महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं।

UP rural women in Organic farming
यूपी की ग्रामीण महिलाओं ने अपने प्रयासों से आमदनी के नए जरियों की तलाश कर ली है। (Pixabay)

By – विवेक त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में आई जागरुकता नारियों के सम्मान की नई इबारत लिख रही है। महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं।

कोरोना संकट के दौरान योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी लोगों की मदद करने के लिए नई योजनाओं को प्रदेश में लागू किया जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया, जिससे यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है। इस दिशा में लखनऊ के निगोहा के मीरखनगर ग्राम पंचायत मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को साबित कर रही हैं।

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जैविक खेती, पशुपालन से लेकर दूसरी महिलाओं को रोजगार दिलाने वाली निगोहां के भैरमपुर की महिला आर्मी दूसरी पंचायतों के लिए मिसाल बन गई हैं। बता दें कि मीरखनगर की आबादी 3500 और भैरमपुर की आबादी 1000 है।

स्वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं। खेती करने के तरीके में इन महिलाओं ने न सिर्फ बदलाव लाए बल्कि अब दोगुनी तेजी से ये फसल उगा रही हैं। इस काम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सब्जियां उगाने से लेकर पारम्परिक खेती करने तक हम लोग अधिकतर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। जलकुम्भी, गोबर, पुआल समेत दूसरे हरित अवशेषों के प्रयोग से विशेष विधि द्वारा शीवांस खाद का उत्पादन भी स्वयं करते हैं। इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट का भी सहारा लेते हैं।

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UP rural women in Organic farming
खेती करने के नए तरीकों से महिलाएँ तेजी से दोगुनी फसल उगा रही हैं। (Pixabay)

उमेश कुमारी ने बताया कि, योगी सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई योजनाओं का लाभ हम लोगों को मिला है। हम लोगों ने 80 महिलाओं के समूह का गठन कर छोटी सी पूंजी से काम की शुरूआत की थी। तब 40 रुपए प्रतिदिन की कमाई होती थी पर आज कोराना काल के संकट के बावजूद स्वयं सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपए की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं।

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार को अच्छी आमदनी के साथ दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर पैदावर कर आमदनी को दोगुना कर लिया है। स्वयं सहायता समूहों की मदद से पशुपालन द्वारा मीरखनगर और भैरमपुर की ये महिलाएं गांव में ही प्रतिदिन तकरीबन तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन कर डेयरी में बिक्री करती हैं।

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उमेश कुमारी ने बताया कि, योगी सरकार की योजनाओं की बदौलत अब गांव की सूरत में बदलाव आया है। पहले जहां चूल्हे एक दो दिन तक ठंडे रहते थे वहीं अब योजनाओं के कारण आमदनी कर परिवार को बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है। इतना ही नहीं वो बताती है कि गांव में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बेटियों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाने और सम्मान से जीने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

मीरखनगर में समूहों की कई महिलाएं अपने हाथ के हुनर को निखार आमदनी कर रही हैं। छोटे छोटे प्रयासों से उन्होंने अपने आमदनी के नए जरियों को तलाश लिया है। आत्मनिर्भर और सशक्त बनने की दिशा में अग्रसर ये महिलाएं पेटिंग, साड़ी की प्रीटिंग, साड़ी की डिजाइनिंग से लेकर परिधानों में रंग भरकर अपनी जिन्दगी में खुशहाली के रंग भर रही हैं।

राज्य ग्रामीण आजीविका के मिशन निदेशक सुजीत कुमार ने बताया कि राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं आत्म निर्भर बन रही है। मिशन की शुरूआत से लेकर अब तक करीब 40 लाख परिवारों को 3.78 लाख स्वयं सहायता समूहों, 16457 ग्राम संगठन एवं 823 संकुल स्तरीय संघ के माध्यम से मिशन से जोड़ा गया है। (आईएएनएस)

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