कोरोना काल में प्रवासी श्रमिकों के लिए बड़ा संबल साबित हुई “मनरेगा” रोजगार योजना !

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्र में वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी रोजगार योजना है जो कोरोना काल में लौटे प्रवासी श्रमिकों के लिए बड़ा संबल साबित हुई। उन्होंने बताया कि इस साल मनरेगा के तहत रिकॉर्ड 344 करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि एवं किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंगलवार को द्रीय रोजगार गारंटी परिषद की 22वीं बैठक संपन्न हुई। बैठक को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मनरेगा ग्रामीण क्षेत्र में वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी रोजगार योजना है। इस वर्ष कोविड-19 के संकटकाल में मनरेगा लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होकर अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों के लिए एक बड़ा संबल साबित हुई है। इस वर्ष अबतक कुल 344 करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन मनरेगा के माध्यम से किया जा चुका है, जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है।”

तोमर ने बताया कि यह विगत वर्ष की तुलना में 44 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों से अब तक लगभग 72 लाख टिकाऊ और उपयोग संरचनाओं का भी निर्माण हुआ है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार (मनरेगा) | (PIB)  

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 1.61 करोड़ नए जॉब कार्ड जारी किए गए, जबकि पिछले वर्षों में इनकी संख्या लगभग 80 लाख थी। इससे जाहिर है कि बेरोजगार होकर अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने में मनरेगा योजना प्रभावी और कारगर माध्यम रही है।

उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत निर्मित कुल 4.29 करोड़ संपत्ति अब तक राज्य और केंद्र सरकार के समन्वित प्रयास से जियो टैग की जा चुकी है।

तोमर ने बताया कि मनरेगा योजना में ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं बढ़-चढ़ कर सहभागिता कर रही हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल सृजित मानव दिवस में से 52 प्रतिशत मानव दिवस महिलाओं द्वारा ही सृजित किए गए हैं। सरकार ने मनरेगा के तहत निजी परिसंपत्तियों के निर्माण के साथ-साथ जल संरक्षण और सिंचाई के कार्यों को प्राथमिकता दी है, जिससे कृषि के क्षेत्र में मदद मिल रही है।

उन्होंने बताया कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा की मजदूरी का शतप्रतिशत भुगतान हितग्राहियों के बैंक खातों में किया जा रहा है, इसके साथ ही कार्यों के सोशल ऑडिट पर जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में मनरेगा के लिए 1,11, 500 करोड़ रुपये राज्यों को आवंटित किए गए हैं जो कि अब तक की सर्वाधिक धनराशि है। इसमें से 93 हजार करोड़ रुपये राज्यों को जारी भी कर दिए गए हैं।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना संकट काल में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 12 मंत्रालयों के समन्वय से 6 राज्यों के 116 जिलों में चलाए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 125 दिनों में 50.78 करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया। इस योजना के लिए भी 50 हजार करोड़ रुपये का व्यय का प्रावधान किया गया था। (आईएएनएस-SM)

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