अपने देश में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध होने के बावजूद आज भी स्कूल-कॉलेज जाने वाले 76 फीसदी छात्र तंबाकू कंपनियों के विज्ञापन देखने को मजबूर हो रहे हैं। साथ ही किशोरों को ललचाने के लिए ये कंपनियां अपने उत्पादों को खास तौर पर टॉफी-चॉकलेट आदि के बीच रखवाती हैं। विशेषज्ञों ने इससे सावधान करते हुए कहा है कि इससे किशोरों में इसकी उम्र भर की लत का खतरा होता है।
एम्स की प्रोफेसर और रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने कहा कि सिगरेट और गुटखा जैसे उत्पाद बनाने वाली तंबाकू कंपनियां खास तौर पर किशोरों को निशाना बना रही हैं। युवाओं को तंबाकू से दूर रखने के विषय पर आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने देश के 25 शहरों में किए गए ताजा सर्वे ‘Big Tobacco Tiny Target’ का हवाला देते हुए कहा कि इसमें पाया गया है कि स्कूल-कॉलेजों के पास मौजूद ऐसी दुकानों में से 75.9 प्रतिशत में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन ना सिर्फ लगाए गए हैं, बल्कि किशोर की नजर में आने लायक जगह पर लगाए गए हैं। इसी तरह इनमें से 72.32 प्रतिशत दुकानों में बच्चों को ललचाने के लिए तंबाकू उत्पादों को कैंडी और मिठाई के पास डिसप्ले किया जाता है।
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मशहूर कैंसर विशेषज्ञ और बैंगलूरू के एचसीजी अस्पताल के रिजनल डायरेक्टर डॉ. विशाल राव ने कहा कि किशोरावस्था में लत लगने की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए ये कंपनियां खास तौर पर इन्हीं को निशाना बना रही हैं। युवा नेता और महाराष्ट्र भाजपा प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा कि हर दिन देश में साढ़े पांच हजार किशोर तंबाकू उत्पाद की लत शुरू कर रहे हैं। इन युवाओं को निशाना बनाने वाली साजिशों को खत्म करने के लिए कॉटपा कानून में संशोधन बहुत जरूरी है। यह वेबिनार देश ‘स्पीकइन’ की ओर से करवाया गया था।
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स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से करवाए गए अध्ययन के मुताबिक भारत में 13 से 15 साल की उम्र के 14.6 प्रतिशत किशोर किसी ना किसी तरह के तंबाकू उत्पाद का उपयोग करते हैं। मंत्रालय ने कॉटपा कानूनों में संशोधन का मसौदा पिछले दिनों सार्वजनिक किया है और लोगों से इस पर प्रतिक्रिया मांगी है। (आईएएनएस)