तिब्बती लोगों ने दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की वर्षगांठ मनाई

निर्वासित तिब्बत सरकार के साथ ही हजारों तिब्बतियों और समर्थकों ने धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की 31वीं वर्षगांठ मनाई।

14th Dalai Lama Nobel Peace Award
14वें दलाई लामा (Wikimedia Commons)

निर्वासित तिब्बत सरकार के साथ ही हजारों तिब्बतियों और समर्थकों ने गुरुवार को धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की 31वीं वर्षगांठ मनाई। लोबसांग सांगे के नेतृत्व में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने दुनियाभर के तिब्बती लोगों, दोस्तों और समर्थकों को शुभकामनाएं दीं।

एक बयान में कहा गया, “छह दशकों से अधिक समय से शांति, सहृदयता, सहिष्णुता और दयालुता पर जोर देने के लिए परम पूज्य की प्रतिबद्धता और सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित धार्मिक सद्भाव एवं नैतिकता को बढ़ावा देने के प्रयास एक न्यायपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”

बयान में कहा गया है, “दुनिया के सबसे प्रिय नेता के रूप में, परम पूज्य ने एक शांतिपूर्ण दुनिया में प्रवेश करने के लिए अथक पहल की, जिसके परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर तिब्बत के लिए समर्थन प्राप्त हुआ।”

गुरुवार को मानवाधिकार दिवस भी है और तिब्बत के मामले में चीनी सरकार की दमनकारी नीतियां उसके संविधान और क्षेत्रीय राष्ट्रीय स्वायत्तता कानून में निहित तिब्बती लोगों के मौलिक अधिकारों को रौंदना जारी रखे हुए है।

2009 के बाद से 154 तिब्बतियों ने आत्मदाह कर लिया है और उन्होंने तिब्बत में मौलिक स्वतंत्रता का आह्वान करने के लिए अपना जीवन त्याग दिया है।

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नवंबर में सीटीए के अध्यक्ष ने औपचारिक रूप से व्हाइट हाउस का दौरा किया और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति कार्यालय दोनों में एशिया से संबंधित अधिकारियों व सदस्यों के साथ मुलाकात की।

इस पर सीटीए ने कहा, “स्टेट डिपार्टमेंट और व्हाइट हाउस का दौरा ऐतिहासिक है और हम अमेरिकी सरकार को अपने औचित्य के लिए निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।”

चीनी सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि वह तिब्बत में तिब्बती लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं पर आंख नहीं मूंद सकती। तिब्बत के लिए वास्तविक समाधान केवल ‘मध्य-मार्ग दृष्टिकोण’ के माध्यम से बातचीत से मिल सकता है।

निर्वासन के 60 वर्षों से अधिक समय तक तिब्बती लोगों को उनके निरंतर समर्थन के लिए भारत और भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, सीटीए ने दलाई लामा के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना की।

दलाई लामा 1959 में अपनी मातृभूमि से पलायन के बाद से भारत में रह रहे हैं। तिब्बती निर्वासित प्रशासन इस पहाड़ी शहर में है।(आईएएनएस)

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