घोड़े और गैंडे जैसे खुरों वाले जानवर एक अजीब किस्म के भेड़ के आकार वाले जानवरों की सुअर और कुत्ते के बीच, क्रॉस ब्रीडिंग से विकसित हुए हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि ऐसे जानवर 5.5 करोड़ साल पहले भारत में रहते थे। गुजरात में खानों की खोज करने वाले जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कैम्बेथेरियम नामक अजीब प्राणी के अवशेषों की खोज की है। कैम्बेथेरियम, पेरिसोडैक्टिल्स (स्तनधारियों का समूह जिसमें घोड़े, गैंडे, और टेपीर शामिल हैं) का एक विलुप्त चचेरा भाई है जो लगभग 5.5 करोड़ साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप में रहते थे।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक केन रोज ने कहा कि 2001 में की गई राजस्थान की पहली यात्रा में बहुत कम सफलता मिली थी। उन्होंने कहा, “हमें उस यात्रा में केवल मछलियों की कुछ हड्डियां मिलीं लेकिन बाद के सालों में हमारे भारतीय सहयोगी राजेंद्र राणा ने दक्षिण में लिग्नाइट खानों की खोज जारी रखी और फिर गुजरात में वस्तान खान पहुंचे। यह नई खदान हमारे लिए बहुत अधिक आशाजनक साबित हुई।”
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अपने पेपर में उन्होंने आगे कहा, “2004 में हमारी टीम वापस आयी और बेल्जियम के हमारे सहयोगी थिएरी स्मिथ को पहला स्तनपायी जीवाश्म मिला, जिसमें कैम्बेथेरियम भी शामिल था।” हमारी टीम फिर से गुजरात की खदानों में पहुंची और कैम्बेथेरियम की कई जीवाश्म हड्डियों को इकट्ठा किया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि संभवत: यह जानवर उस समय विकसित हुआ, जब भारत एक द्वीप था। रोज ने कहा, “इससे पहले 1990 में क्राउज एंड मास ने भी कहा था कि घोड़ों की उत्पत्ति भारत में हुई थी।”
2005 में पहली बार कैम्बेथेरियम का वर्णन विलुप्त समूह के सबसे प्रमुख सदस्य के रूप में किया गया जो पेरिसोडैक्टिल के विकास से ठीक पहले खत्म हो गया था। (आईएएनएस)