गया के फल्गु नदी में राज्य का पहला रबर डैम, तर्पण में होगी सुविधा

By: मनोज पाठक धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी गया के फल्गु नदी में राज्य का पहला रबर डैम बनने का काम प्रारंभ होने वाला है। इस डैम के बनने के बाद मोक्षनगरी के रूप में प्रसिद्ध गया में फल्गु नदी में अपने पूर्वजों को पिंडदान करने आने वाले पिंडदानियों को अब पानी की समस्या दूर हो

By: मनोज पाठक

धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी गया के फल्गु नदी में राज्य का पहला रबर डैम बनने का काम प्रारंभ होने वाला है। इस डैम के बनने के बाद मोक्षनगरी के रूप में प्रसिद्ध गया में फल्गु नदी में अपने पूर्वजों को पिंडदान करने आने वाले पिंडदानियों को अब पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

कहा जा रहा है कि इस डैम के बनने के बाद यहां दो से तीन मीटर तक पानी रहेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस रबर डैम की कल्पना की थी, जिसका काम अब प्रारंभ होने वाला है। इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी हो गई है।

जल संसाधन विभाग, गया के मुख्य अभियंता अभय नारायण ने बताया कि जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में इस पर काम प्रारंभ हो जाएगा। उन्होंने कहा इस डैम का काम तीन वर्ष में पूरा होना है, लेकिन हमलोगों की कोशिश होगी कि इसे दो साल में पूरा कर लिया जाए।

उन्होंने कहा कि 277 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह रबर डैम राज्य का पहला रबर डैम होगा जो आकर्षण का केंद्र होगा। उन्होंने बताया कि हैदराबाद की एनसीसी कंपनी इस डैम को बना रही है।

इधर, जल संसाधन विभाग, गया के एक्सक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार सिंह ने आईएएनएस से कहा कि रबर डैम बनने के बाद गया के फल्गु नदी में पिंडदान करने वालों के लिए पानी की समस्या दूर हो जाएगी। पितृपक्ष के दौरान पितरों को मोक्ष लेकर मोक्षदायिनी फल्गु के पवित्र जल में स्नान एवं तर्पण करते है।

गया के फल्गु नदी में राज्य का पहला रबर डैम, तर्पण में होगी सुविधा
रबर डैम बनने के बाद गया के फल्गु नदी में पिंडदान करने वालों के लिए पानी की समस्या दूर हो जाएगी।(Pixabay)

उन्होंने कहा कि 411 मीटर चौड़ा और करीब दो किलोमीटर पीछे यानी नदी के अप स्ट्रीम में एक से तीन मीटर तक पानी जमा रहेगा।

मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) अभय नारायण ने इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि यह डैम आम तौर पर तटबंधों की तरह ही होगा, इसमें लोहे के गेट की जगह रबर का बैलून होगा। उन्होंने कहा कि इसमें पांच स्पैन का निर्माण होगा। प्रत्येक स्पैन (पाए) के बीच में गुब्बारे लगा रहेगा। नदी में तीन मीटर तक पानी आने पर उसे गुब्बारे से रोका जाएगा। अधिक पानी आने पर गुब्बारे की हवा कम कर नीचे की ओर पानी बहा दिया जाएगा ताकि डैम सुरक्षित रह सके।

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डैम की चौडाई 411 मीटर होगी। नदी के दोनों किनारों की ढलाई की जाएगी। स्पैन की गहराई 24 से 28 मीटर होगी। यहां पाथवे का निर्माण किया जाएगा जिससे तीर्थयात्री आसानी से पिंडवेदी तक पहुंचेंगे।

प्रतिवर्ष पितृपक्ष के मौके पर लाखों श्रद्घालु अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने यहां पहुंचते हैं। रबर डैम के बन जाने के बाद इन पिंडदानियों को जहां फल्गु नदी में पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा, वहीं यह डैम आकर्षण का केंद्र भी होगा। योजना के मुताबिक डैम के उप स्टील का पुल भी बनाया जाएगा, जिस पर लोग आसानी से आ जा सके।(आईएएनएस)

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