पुर्व उपराष्ट्रपति के कुछ अनछुए पहलू, पीएचडी कर बनना चाहते थे टीचर

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को कॉलेज के दौरान पीएचडी करनी और यूनिवर्सिटी में टीचर बनने की इच्छा थी लेकिन एक शख्श के कहने पर उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा दी।

By: मोहम्मद शोएब खान

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को कॉलेज के दौरान पीएचडी करनी और यूनिवर्सिटी में टीचर बनने की इच्छा थी लेकिन एक शख्श के कहने पर उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा दी। दरअसल भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का जन्म 1 अप्रैल, 1937 को कोलकाता में हुआ था और शिमला के सेंट एडवर्डस हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से संबंद्ध सेंट जेवियर कॉलेज और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की।

हामिद अंसारी को टीचर बनने की इच्छा थी, लेकिन उनकी मां ने एक बार कहा कि तुम्हें सिविल सर्विस में जाना चाहिए, जिसके बाद उनके एक प्रोफेसर ने उन्हें इसके लिए राजी किया। हामिद अंसारी को सिविल सर्विस की परीक्षा देने का दिल नहीं था, लेकिन उन्होंने परीक्षा दी। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आईएएनएस को बताया कि, जिस वक्त मैं यूनिवर्सिटी में था, तब मुझे पीएचडी करना था। उसके बाद यूनिवर्सिटी में ही टीचिंग करने की इच्छा थी, मगर मेरी मां का ख्याल था कि मैं सिविल सर्विस में जाऊं।

उन्होंने आगे बताया, इसके लिए मेरे एक प्रोफेसर ने मुझे राजी किया और कहा कि, मैं सिविल सर्विस की परीक्षा में बैठ जाऊं, हालांकि मैं परीक्षा में बैठ तो गया था। लेकिन परीक्षा के लिए ज्यादा पढ़ाई नहीं कि थी, क्योंकि दिल नहीं था, बहरहाल मैं इतिफाक से पास भी हो गया। हामिद अंसारी ने आईएएनएस को एक और पहलू साझा करते हुए बताया कि, मैं काबुल में राजदूत था और 5 मिनट के फर्क से मैं बच गया। यदि मैं उसी जगह पर रहता तो मर जाता, मेरे घर पर बमबारी हुई थी।

उन्होंने आगे बताया, 5 मिनट पहले मैं घर से निकल गया, क्यों निकला पता नहीं? हवाई जहाज से हुए उस हमले में मेरे घर का आधा हिस्सा उड़ गया था, किस्मत थी जो बच गया।
हामिद अंसारी के अनुसार उनकी जिंदगी मे बहुत से छोटे मोटे शिड्यूल एक्सीडेंट हुए हैं, जिन्हें हम इत्तेफाक भी कह सकते हैं, इन्हीं की वजह से उन्होंने अपनी नई किताब का नाम बाय मैनी ए हैप्पी एक्सीडेंट रखा है।

दरअसल उनके बच्चे चाहते थे कि वह किताब लिखें। उन्होंने बताया कि, मैंने अपनी किताब कोविड-19 से पहले ही खत्म कर दी थी, लेकिन कोविड-19 में सब कुछ बन्द होने के कारण मेरी किताब अब जाकर आई है।हालांकि कोविड 19 के दौरान हामिद अंसारी ने अपना ज्यादातर वक्त पढ़ने में गुजारा, इसपर वे बताते हैं कि, कोविड-19 के दौरान मैं 10 महीनों से घर मे बंद हूं, मेरा ज्यादातर वक्त किताबें पढ़ने में जाता है।

हालांकि जब उनसे पूछा गया कि शिमला, कलकत्ता और अलीगढ़ में पढ़ाई के वक्त का अनुभव कैसा था? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि, हर जगह का अनुभव अलग था, एक अनुभव को दूसरे अनुभव से मिला नहीं सकते और सभी अनुभव यादगार भी रहे। उस जमाने के दोस्त, साथी सभी के साथ एक यादगार पल था, आज भी उनसे बात होती है। हामिद अंसारी ने अपने दोस्त का जिक्र करते हुए कहा कि, मेरे एक अच्छे दोस्त हैं जो जामिया में हिस्ट्री के प्रोफेसर थे। उनका कल ही फोन आया और कहा कि ‘तुम्हारी किताब पढ़ रहा हूं’, तुमने मेरे नाम भी शामिल किया है।’ अब ऐसे कोई आपसे कहता है तो आदमी खुश होता है। 
 

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प्रधानमंत्री मोदी और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी  । ( Wikimedia Commons  )

अंसारी ने अपने कैरियर की शुरूआत भारतीय विदेश सेवा के एक नौकरशाह के रूप में 1961 में की थी जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। वे आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। उन्होंने कहा, 1962 से 1999 तक मैं एक डिप्लोमेट रहा, 1976 से अलग अलग मुल्कों में राजदूत रहा, जिधर सरकार ने भेजा वहीं चला गया। हामिद अंसारी ने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर पर भी अपनी सेवा दी है। हामिद अंसारी ने अपनी पत्नी की राय को भी अपनी जिंदगी में काफी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, उनकी राय मेरी जिंदगी मे बहुत महत्वपूर्ण है, जिस वक्त मैं अपनी किताब लिख रहा था, तो कुछ हिस्से भूलने लगा था जिन्हें उन्होंने पूरा किया।  

हामिद अंसारी ने खुद से जुड़े कुछ विवादों पर भी बातचीत की। इसमें उनके द्वारा कही गई असुरक्षा की बात पर उन्होंने बताया कि, मैंने इसमें कोई नई बात नहीं कही, आप मेरी स्पिचेस देखेंगे तो 10 साल में मैंने 500 बार स्पीच दी है, तीन किताबें स्पिचेस की छप चुकीं है। मैंने बहुत से मुद्दों पर बोला है, जिसमें कुछ सोशल और कुछ राजनीतिक थे, उसपर मैंने स्पिचेस दीं हैं। जो लोग लेकर उड़ गए हैं कि अपने आखिरी दिन क्यों कहा? ये बिल्कुल गलत है। उन सभी ने न मेरी किताब पढ़ी है और न मेरी स्पीच सुनने की जहमत उठाई, मेरी हर स्पीच रिकॉर्ड पर है।

हालांकि जब उनसे सरकार के कृषि कानून पर पूछा गया तो उन्होंने अपनी राय रखते हुए कहा कि, हर नागरिक ने देखा है जो हो रहा है, इसपर सबकी राय अलग-अलग है। क्या किसान और सरकार के बीच दूरियां बन रही हैं? इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि, मैं ये कैसे कहूं? दोनों ही नागरिक हैं। लेकिन इस बात को इस हद तक पहुंचना नहीं चाहिए था, हल निकालना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि, भारत सरकार के सामने यह पहली समस्या नहीं है। हर स्टेज पर समस्याएं आती रही हैं, कभी कभी समस्याएं कंट्रोल के बाहर चली जाती हैं। लेकिन इस मसले पर मुझे लग रहा है कि समस्या कंट्रोल के बाहर हो चुकी है।

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हालांकि हामिद अंसारी के अनुसार इस तरह के कानून लाने से पहले आप पार्लियामेंट में अच्छी तरह बहस होनी चाहिए थी। हर वर्ग की इसमें राय लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, कोई जरूरी नहीं बुद्धिमान लोग सिर्फ एक जगह हो, अनुभवी लोग हर जगह हो सकते हैं, सबके राय मशविरा कर कानून बनाना चाहिए था। क्या कृषि कानून पर डिबेट कम हुई? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, हां, कम हुई, आंकड़े निकाल कर देख लीजिए, लोकसभा और राज्य सभा में कितनी डिबेट हुई है।

हामिद अंसारी ने पड़ोसी मुल्कों के साथ भारत के सम्बन्धों पर भी अपनी राय रखी, उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, चीन और भारत दोनों बड़े देश हैं और पड़ोसी हैं। दोनों समझते हैं कि एक दूसरे के साथ रहना है। जो दूरियां है उन्हें बातचीत से सुलझाना चाहिए और मेरे ख्याल से सरकार की यही कोशिश है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने कई बार कहा है कि हम बातचीत कर रहे हैं। ( आईएएनएस )
 

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