अखंड भारत के नवरचनाकार ‘सरदार’

सरदार पटेल ने हमेशा ही अखंडता को अपना सिद्धांत माना और सदा उस सिद्धांत के लिए ही कार्यरत रहे। आज उनके पुण्यतिथि पर उनके कहे कुछ गूढ़ बातों को समझते हैं।

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स्टेचू ऑफ़ यूनिटी statue of Unity Sardar Patel सरदार पटेल
स्टेचू ऑफ़ यूनिटी, सरदार सरोवर बांध।(Wikimedia Commons)

आज जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तो लौह पुरुष सरदार पटेल का नाम जरूर लिया जाता है। क्योंकि सरदार ही वह दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत को बँटने से बचाया। हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर को भारत का हिस्सा इन्ही के प्रयासों ने बनाया था। जब की हैदराबाद का निज़ाम पाकिस्तान से विलय का पूरा मन बना चुका था। जिसके बाद ‘सरदार’ ने अखंडता को न टूटने देने का बीड़ा उठाया और वह भी साम, दाम, दंड, भेद के नीति को अपनाकर। और अंत में निज़ाम को भारत और वहां लोगों के असहमति के सामने झुकना पड़ा।

अंग्रेज जब हिन्दुस्तान छोड़ कर जा रहे थे तब उन्होंने सभी राज्यों को अलग राष्ट्र या भारत में विलय का प्रस्ताव रखा। पाकिस्तान के साथ साथ पांच ऐसे राज्य थे जिन्होंने भारत में शामिल न होने का मन बनाया। वह राज्य थे त्रावणकोर, जोधपुर, भोपाल, हैदराबाद, जूनागढ़। इन सभी राज्यों में या तो निज़ामशाही हावी थी या अंग्रेजी प्रभाव। किन्तु इतिहास आज कह रहा है कि भारत अखंड था, है और रहेगा।

आज लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी के पुण्यतिथि पर उनके द्वारा कहे गए कुछ अविस्मरणीय बातें जिन्हे आज भी याद कर उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व कुशलता को समझा जाता है:

  • १.”हमने यह महसूस किया है कि यदि हमने विभाजन स्वीकार नहीं किया तो भारत छोटे – छोटे टुकड़ों में विभाजित होकर विनष्ट हो जाएगा। कार्यालय में मेरे एक वर्ष के अनुभव से मुझे ज्ञात हुआ कि हम जिस रास्ते पर चल रहे थे वह हमें विनाश की ओर ले जा रहा था। ऐसा करने पर हमारे पास एक नहीं कई पाकिस्तान होते। हमारे प्रत्येक कार्यालय में एक पाकिस्तानी शाखा होती।
  • २.”सरकार की तोपें या बंदूकें हमारा कुछ नहीं कर सकती। हमारी निर्भयता ही एक कवच है।”
Sardar Patel
सरदार वल्लभभाई पटेल(Wikimedia Commons)
  • ३.”मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।”
  • ४.”संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। यदि मरना होगा, तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम व शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।”

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  • ५.”अगर हमारी करोड़ों की दौलत भी चली जाए या फिर हमारा पूरा जीवन बलिदान हो जाए तो भी हमें ईश्वर में विश्वास और उसके सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।”
Statue of Unity
स्टेचू ऑफ़ यूनिटी। (Wikimedia Commons)
  • ६.”स्वतंत्र भारत में कोई भी भूख से नहीं मरेगा। अनाज निर्यात नहीं किया जायेगा। कपड़ों का आयात नहीं किया जाएगा। इसके नेता ना विदेशी भाषा का प्रयोग करेंगे ना किसी दूरस्थ स्थान, समुद्र स्तर से 7000 फुट ऊपर से शासन करेंगे। इसके सैन्य खर्च भारी नहीं होंगे, इसकी सेना अपने ही लोगों या किसी और की भूमि को अधीन नहीं करेगी। इसके सबसे अच्छे वेतन पाने वाले अधिकारी इसके सबसे कम वेतन पाने वाले सेवकों से बहुत ज्यादा नहीं कमाएंगे और यहाँ न्याय पाना ना खर्चीला होगा, ना कठिन होगा।”
  • ७.” यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं। अब हर भारतीय को भूल जाना चाहिए कि वह सिख हैं, जाट है या राजपूत। उसे केवल इतना याद रखना चाहिए कि अब वह केवल भारतीय हैं जिसके पास सभी अधिकार हैं, लेकिन उसके कुछ कर्तव्य भी हैं।”

सरदार पटेल की ऐसी कई बातें हैं जिन्हे सुनकर युवाओं में स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का प्रोत्साहन मिला। सरदार पटेल हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगे।

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