By: Swati Mishra
“अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस”(International Women Day 2021) दुनिया भर के कई देशों में मनाया जाता है। यह एक ऐसा दिन है , जब महिलाओं को राष्ट्रीय , जातीय , भाषाई , सांस्कृतिक , आर्थिक , राजनीतिक सभी के संबंध में उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें पहचाना जाता है। अंतर्रष्ट्रीय महिला दिवस ने विकसित और विकासशील देशों में महिलाओं के लिए एक नया वैश्विक आयाम ग्रहण किया है।
जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का पूर्ण नेतृत्व और प्रभावी भागीदारी सभी के लिए प्रगति का काम करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि , अभी भी महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में निर्णय लेने में पुरुषों से कम आंका जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक केवल 22 देशों में महिलाएं राज्य या सरकार की प्रमुख हैं। केवल 24.9 प्रतिशत राष्ट्रीय सांसद में महिलाएं हैं। प्रगति के वर्तमना दर पर भी , शासनाध्यक्षों के बीच यह लैंगिक समानता स्थापित करने में अब भी 130 साल लगेंगे।
हमारा संविधान या दुनिया का कोई भी संविधान महिलाओं को कानूनी रूप से अधिकार तो देता है, लेकिन यथार्थ जीवन में या सामाजिक स्तर पर देखा जाए तो आज भी महिलाएं , पुरुषों के मुकाबले पीछे ही मानी जाती है। आज भी महिलाओं को व्यवहारिक तौर पर जो सम्मना मिलना चाहिए वो उन्हें नहीं दिया जाता है। दुनिया की हर महिला कलंक, रूढ़ियों और अहिंसा से मुक्त होना चाहती हैं। एक ऐसा भविष्य चाहती हैं, जो सभी के लिए समान अधिकार और अवसरों के साथ – साथ शांतिपूर्ण भी हो।
हर साल की तरह इस वर्ष भी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस(International Women Day 2021) 8 मार्च को मनाया जा रहा है। लेकिन क्या महिलाओं के सम्मान का केवल एक दिन होना चाहिए? हम सभी ने देखा है कि 14 फरवरी को मनाया जाने वाला वैलेंटाइन डे , जिसमें लोग कहते हैं , प्यार करने का कोई दिन नहीं होता है। क्या यही बात महिलाओं के सम्मान में लागू नहीं होती? क्या इस एक दिन के अतिरिक्त महिलाओं का आदर जरूरी नहीं? क्या ‘हर’ दिन महिला दिवस(International Women Day 2021) नहीं होना चाहिए!
कानून के पन्नों में तो समानता के अक्षर आज भी गढ़े हुए हैं , लेकिन समाज के पन्नों में आज भी महिलाओं को कोई सम्मान नहीं दिया जाता। बल्कि आज स्तिथि और बिगड़ती जा रही है। आज इंसान, हेवानियत पर उतर आया है जिसकी सज़ा, जिसकी माफी , जिसका पश्चाताप भी, शायद ही किसी संविधान या किसी धर्म ग्रंथों में होगा।
सम्मान का अर्थ समाज में कोई विशेष दर्जा पाना नहीं है। समाज का एक नागरिक होने के नाते यह महिलाओं का अधिकार है। लेकिन दुरभाग्यवश समाज में अपने सम्मान के लिए आदर के लिए भी महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है।
आदर के नाम पर ये समाज महिलाओं को मां दुर्गा , मां सरस्वती का दर्जा दे देता है। कुछ रूढ़िवादी मानसिकता इसलिए भी महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं देती क्यूंकि उन्होंने पहले से ही उन्हें देवी का दर्जा दे डाला है। यह किस तरह की मानसिकता के ढर्रे पर आज भी हमारा समाज चल रहा है। महिलाओं को महिला होने का दर्जा भर भी ये समाज दे सकता तो आज यह मुद्दा ही खत्म हो चुका होता। महिलाओं पर होने वाली हिंसा केवल महिला का मुद्दा भर नहीं है यह एक मानवीय मुद्दा है। जिस पर बात करना , सहयोग करना, पुरषों का भी दायित्व है। लेकिन ये पुरुषप्रधान समाज केवल अपना पुरुषार्थ झाड़ता है। वो केवल ये सोचता है कि महिलाओं के बिना भी वो प्रगति हासिल कर सकता है।
भीम राव अंबेडकर ने भी कहा था “किसी भी समाज की उन्नति उस समाज की महिलाओं की उन्नति से मापा जाता है”।
आज कल महिला दिवस(International Women Day 2021) के रूप में , सोशल मीडिया , कॉरपोरेट जगत में महिलाओं को एक दिन का सम्मान देने के लिए मुफ्त में चीज़े दिए जाते हैं। विभिन्न सामानों पर भारी छूट दी जाती है। क्या महिला समाज में मुफ्त की चीजों की भूखी है? यह समाज उन्हें किस तरह का सम्मान देता है? इससे समाज में केवल विभेद उत्पन्न होता है। महिला दिवस(International Women Day 2021) का इतिहास पलट के देखा जाए तो बराबर वेतन और वोट डालने के अधिकार को लेकर लड़ाई लड़ी गई थी। पर आज जिस रूप में महिला दिवस(International Women Day 2021) मनाया जाता है , मैं कहूंगी ये केवल दिखावा भर है। एक दिन का ढोंग है। अगर वास्तव में समाज महिलाओं के विषय में सोच पाता तो आज महिलाओं के हक में लाखों आवाजें हर दिन नहीं उठती।
आज जब पूरी दुनिया महामारी के दौर से गुजर रही है तो महिलाएं भी इस लड़ाई में पीछे नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने बताया कि , कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी महिलाएं सबसे आगे हैं। वैज्ञानिक , डॉक्टर और देखभाल करने वाली के रूप में आज फ्रंटलाइन पर हैं, लेकिन फिर भी उन्हें पुरुष समकक्षों की तुलना में वैश्विक स्तर पर 11 प्रतिशत कम वेतन मिलता है। 87 देशों की कोविड-19 टास्क टीमों के विश्लेषण में पाया गया कि , उनमें से केवल 3.5 प्रतिशत में ही लैंगिक समानता है।
दुनिया का इतिहास गवाह है कि , जब भी महिलाओं ने नेतृत्व किया , हमेशा ही हमने सकारात्मक परिणाम देखा है। कोविड-19 महामारी के सबसे कुशल और अनुकरणीय प्रतिक्रियाओं में से कुछ का नेतृत्व आज महिलाओं द्वारा किया गया है। विशेष रुप से युवा महिलाएं आज हर स्तर में आगे हैं। दुनिया के सभी हिस्सों में सामाजिक न्याय , जलवायु परिवर्तन और समानता के लिए सड़कों पर है। अपनी आवाज़ उठा रहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रगति के दौर में आज भी 30 से कम उम्र की महिलाएं दुनिया भर में 1 प्रतिशत से भी कम सांसद है।
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यही कारण है कि , इस वर्ष का अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस(International Women Day 2021) पीढ़ी समानता के लिए सभी के लिए एक समान भविष्य लेकर आया है। समाज में गैरबराबरी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ती महिलाओं की स्तिथि को बयां कर रहा है। इस दिन का मतलब , इसका सही अर्थ उस दिन सफल होगा जब मानसिक और सामाजिक दोनों स्तर पर भी महिलाओं को उनका हक मिलेगा।