![blood cancer patient Read how an army soldier saved the life of a blood cancer patient](https://old-hindi.newsgram.com/wp-content/uploads/2020/12/mitosis-3876669_960_720-696x392.jpg)
साल 2019 में संदीपन नामक एक जवान ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन के साथ मिलकर खुद को एक ब्लड स्टेम डोनर के रूप में पंजीकृत किया है। यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जो ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए काम करता है। अपने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक अभियान में उन्होंने खुद को पंजीकृत कराया था और साल 2020 में एक मरीज के मैच के रूप में उभरकर सामने आए।
ब्लड कैंसर या थैलेसेमिया और अप्लास्टिक एनीमिया जैसे खून से संबंधित अन्य विकारों से पीड़ित रोगियों के लिए प्रायः ब्लड स्टेम सेल प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज होता है। हालांकि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के मात्र 30 फीसदी मरीज ही इसका उपचार करा पाने में सक्षम रहते हैं क्योंकि ट्रीटमेंट केवल सिबलिंग मैच के आधार पर ही होता है। बाकी के 70 फीसदी मरीज असंबंधित डोनर को ढूंढ़ने पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में यह लोगों के लिए काफी जरूरी हो जाता है कि वे स्टेम सेल डोनर्स के रूप में खुद को पंजीकृत करें। जैसा कि संदीपन ने किया।
संदीपन महाराष्ट्र के लातूर जिले से ताल्लुक रखते हैं। कोरोनावायरस महामारी के दौरान जब सभी खुद के करीबियों के लिए फिक्रमंद नजर आए, उस वक्त संदीप ने ब्लड स्टेम सेल डोनेशन को अपना कर्तव्य माना। इसके लिए वह लातूर से बैंगलोर आए।
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डीकेएमएस-बीएमएसटी के सीईओ पैट्रिक पॉल ने कहा, “यात्रा पर प्रतिबंध लगे रहने के चलते सबसे बड़ी चुनौती डोनर और उनके परिवार को उनके होमटाउन से बैंगलुरू तक लाना था। संदीपन भारत के एक सुदूरवर्ती इलाके में तैनात हैं इसलिए हमारे लिए यह जरूरी था कि हम उनके ब्लड स्टेम सेल्स डोनेट के लिए भारतीय सेना से सभी आवश्यक अनुमति प्रदान करें।”
अपने अनुभव के बारे में संदीपन ने कहा, “जब मुझे पेशेंट से मैच होने को लेकर कॉल आया, तो मुझे काफी अच्छा लगा। मैंने इस पर दोबारा नहीं सोचा और जरूरतमंद मरीज को अपना ब्लड स्टेम सेल देने को राजी हो गया।”
संदीपन ने अपने ब्लड स्टेम कोशिकाओं को पीबीएससी (परिधीय रक्त स्टेम सेल) विधि के माध्यम से दान किया। यह प्रक्रिया ब्लड प्लेटलेट डोनेशन के समान ही है। इसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है और यह काफी सुरक्षित भी है। (आईएएनएस)