राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का प्रेरणा से भरपूर सफर

आज भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 75वां जन्मदिन है। उनका जीवन शुरुवात से ले कर अभी तक काफी प्रेरणादायक रहा है, आइए कुछ उनके बारे में जानते हैं।

0
404
Ram Nath Kovind 75th birthday
भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। (Wikimedia Commons)

संघर्ष और हौसले का मेल ही है जिसने भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस मुकाम को हासिल करने की इच्छाशक्ति दी है। जिसने अपने बचपन में कई कठिनाइयों का सामना किया आज उन्ही के कलम से देश की तकदीर लिखी जाती है। आज राष्ट्रपति कोविंद के 75वें जन्मदिन पर उनके बारे थोड़ा जानने की कोशिश करते हैं।

रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर जिले में परौंख गांव के एक साधारण परिवार में हुआ था। जिस वक्त रामनाथ कोविंद का जन्म हुआ उस वक्त यह देश अंग्रेज़ों का गुलाम था और उस समय एक गुलाम देश के नागरिक के तौर बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। लेकिन इन कठिनाइयों के बीच भी उनके परिवार ने उन्हें शिक्षा से अवगत कराया।

यही कारण था कि सभी को पीछे छोड़ते हुए राम नाथ कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय में एक वकील के तौर पर अपने सफल जीवन की शुरुवात की।

President of India greets OM
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Twitter)

रामनाथ कोविंद राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवक रहे और यह पहली बार है कि कोई स्वयंसेवक राष्ट्रपति के ओहदे तक पहुंचा है। कोविंद के राजनीतिक सफर में कई मोड़ आए, उन्होंने कई तरह की भूमिकाओं को सफलता से निभाया। इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम किया।

कोविंद ने दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। वर्ष 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी थी जिसमे कोविंद उस समय के वित्त मंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव थे, जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य भी किया। कोविंद ने इससे पहले भी अपने प्रतिद्वंदियों को कई बार पटकनी दी है और उन्होंने सबसे पहले अपने गांव की गरीबी को कोसों दूर फेंका था।

यह भी पढ़ें: भगत सिंह के बसंती चोले की वेदना को समझने की कोशिश

इसके बाद वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव पर रहे और इसके बाद ही भाजपा नेतृत्व के सम्पर्क में आए।

बता दें कि गरीबी की वजह से बचपन में रामनाथ कोविंद 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे, वह कक्षा में कर्मठ और तीव्र बुद्धि वाले छात्र थे।  गांव में रहने वाले रामनाथ कोविंद के साथियों को जहां उनकी काबिलियत पर नाज है, वहीं कोविंद की दरियादिली के भी वो कायल हैं। गरीबी में पैदा हुए रामनाथ कोविंद ने आगे चलकर वकालत की दुनिया में अपने नाम का सिक्का जमाया। वह बिहार के राज्यपाल भी बने, लेकिन जायदाद के नाम पर उनके पास आज भी कुछ नहीं है, एक घर था वो भी गांववालों को दान कर दिया।

हर कोई राष्ट्रपति कोविंद के स्वभाव के कायल हैं। (PIB)

आपको बता दें, केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यपाल बनने वाले तीसरे व्यक्ति थे। वे मेंबर, पार्लियामेंट की SC/ST वेलफेयर कमेटी के सदस्य, पेट्रोलियम मंत्रालय, गृह मंत्रालय ,सोशल जस्टिस, मैनेजमेंट बोर्ड ऑफ डॉ. बी.आर. अबेंडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ, चेयरमैन राज्यसभा हाउसिंग कमेटी मेंबर भी रहे। बता दें, चुनाव जीतने के बाद अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा था, ‘फूस की छत से पानी टपकता था. हम सभी भाई बहन दीवार के सहारे खड़े होकर बारिश बंद होने का इंतजार करते थे.’

यह भी पढ़ें: बिहार में हौसले और जूनून की एक और नई कहानी

दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2017 में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। दो बार भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रीय प्रवक्ता ,उत्तर प्रदेश के महामंत्री रह चुके रामनाथ कोविंद अपने विनम्रता और कार्यनिष्ठा के लिए जाने जाते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here