रामायण पर घटिया टिप्पणी करने वाले वकील प्रशांत भूषण पर इस शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट द्वारा करारा तमाचा जड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कहा की “कोई भी कुछ भी देख सकता है”
अभी हाल में केंद्र सरकार द्वारा टेलेविज़न पर रामायण- महाभारत के पुनः प्रसारण करने के निर्णय का विरोध करते हुए ,प्रशांत भूषण ने रामायण और महाभारत की तुलना अफीम से कर दी थी। जिसके बाद राजकोट के जयदेव रजनीकांत जोशी ने प्रशांत भूषण के खिलाफ हिन्दू भावनाओं को आहत करने का मामला दर्ज कराया।
इस बात मे कोई दो राय नहीं है की, रामायण और महाभारत सिर्फ ग्रंथ या मात्र धारावाहिक नहीं है बल्कि हिन्दू धर्म मानने वाले लोगों के आस्था का विषय है। और ऐसे विषयों की तुलना अफीम से करना बेहद ही शर्मनाक और अपमानजनक है। कश्मीर की समस्या के समाधान पर कभी जनमत संग्रह की मांग करने वाले प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के कभी कोर सदस्य रह चुके हैं।
प्रशांत भूषण की ऐसी सोच पर हमने आम आदमी पार्टी के NRI सेल के पूर्व सह संयोजक, डॉ. मुनीश कुमार रायजादा से बात की।
डॉ मुनीश कुमार रायजादा बताते हैं की
“प्रशांत भूषण की ऐसी हिन्दू विरोधी भावनाएं, उनकी ठेठ साम्यवादी सोच का नतीजा है”।
ऐसा नहीं है की हिन्दू संस्कृति के प्रति इनका विरोधाभास पहली बार देखा गया है। समय दर समय हिन्दू संस्कृति को आतंकवाद से जोड़ना, किसी भी अपराध को हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू संस्कृति से जोड़ कर एक महान सभ्यता को बदनाम करने का काम इनके ट्विटर हैंडल से सैकड़ों बार किया जाता रहा है।
डॉ मुनीश रायज़ादा के नज़रिए से देखा जाए तो प्रशांत भूषण, ऐसी सोच रखने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं। उनके साथ साथ ठेठ साम्यवादी सोच रखने वाले ‘अर्बन नक्सलियों’ का एक पूरा जमावड़ा आम आदमी पार्टी की कोर कमिटी में डेरा जमाये बैठा है।
डॉ रायज़ादा आगे बताते हैं कि “आप के पहले राष्ट्रीय कार्यकारी समिति में शामिल प्रशांत भूषण, के साथ प्रो आनंद कुमार, योगेंद्र यादव, प्रो अजीत झा, राकेश सिन्हा, अशोक अग्रवाल, जैसे कई लोग इसी साम्यवादी विचारधारा के प्रवर्तक रहे हैं। औऱ सत्ता में बैठी एक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में ऐसी सोच का पलना, दिल्ली ही नहीं पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।”
Bhgwan ram kevisaymein koi bhi teeka tippani karna ek apradh hi hai.