वीर सावरकर जिनका पूरा नाम है विनायक दामोदर सावरकर जी की आज 132वीं जयंती है। वीर सावरकर वह नेता थे जिन्होंने राष्ट्रवाद को परम-धर्म माना। राजनीतिक गलियारे में भी हिंदुत्व की भावना को जागृत करने का श्रेय वीर सावरकर को ही जाता है। सावरकर ही वह नेता थे जिन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं को वापस लाने के लिए एक मुहीम को शुरू किया था और कई आंदोलनों का नेतृत्व भी किया था।
सावरकर वह तर्कवादी नेता थे जिन्होंने रूढ़िवादी राजनीति का सदैव विरोध किया था। वह 20वीं शताब्दी के सबसे विश्वसनीय हिन्दू नेता थे जिन्होंने हिन्दुओं को एकजुट करने का नेतृत्व किया। सावरकर, नेता के साथ लेखक भी थे, जिन्होंने कई पुस्तकों को अपने कलम से उकेरा। “हिंदुत्व” पुस्तक उनके प्रमुख कार्यों में से एक है। वीर सावरकर ने एक बार पत्रकारों से कहा था कि “मुझे स्वराज्य प्राप्ति की खुशी है, परन्तु वह खण्डित है, इसका दु:ख है।”
हिन्दू नेता वीर सावरकर ने कुछ ऐसे विचारों को जनता तक पहुँचाया। आइए जानते हैं उनके द्वारा कहे कुछ प्रमुख विचारों को:
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सावरकर को सदा से हिन्दू शब्द एवं संस्कृति से बहुत लगाव था और सावरकर को 6 बार अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। जैसा कि भारत ने इस महान देशभक्त को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नमन किया, कई लोगों ने शिकायत की है कि सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित क्यों नहीं किया गया है?