comedy hinduism tolerance vir das
नदी में स्नान करते सनातन धर्म के लोग(बाएँ) और वीर दास(दाएँ) (Image Source: VOA And Twitter)

सुरलीन कौर के विवाद के बाद अब हिंदु धर्म के प्रति नफरत और मज़ाक फैलाने को लेकर कई और मामले सामने आ रहे हैं। आम लोगों द्वारा भी अब कई ऐसे वीडियो ढूंढ कर निकाले जा रहे हैं। सनातन धर्म मानने वाले लोगों में आई ये सतर्कता के कारण, सुरलीन कौर के अलावा कई और कॉमेडियन इसका निशाना बन रहे हैं। 

सुरलीन कौर के विवाद के बाद अब कॉमेडियन आलोकेश सिन्हा का भी नाम सामने आया है। यूट्यूब पर आलोकेश सिन्हा द्वारा डाली गयी अपने शो की एक क्लिप में उन्हे ‘हनुमान चालीसा’ का अपमान करते हुए देखा जा सकता है। हालांकि रमेश सोलंकी द्वारा आलोकेश के खिलाफ किए गए एफ़आईआर के बाद उन्होने माफी मांगते हुए कहा है की उनका मकसद हिन्दू धर्म या हनुमान चालीसा का अपमान करना नहीं था, और अगर किसी हिन्दू भाइयों की भावनाएँ आहात हुई हो तो वो उन्हे छोटा भाई समझ कर माफ़ कर दें। आलोकेश सिन्हा के माफी का वीडियो रमेश सोलंकी ने अपने ट्वीटर हैंडल से शेयर की है। 

विवाद, सुरलीन या आलोकेश तक ही नहीं थमा है, बल्कि बहुचर्चित कॉमेडियन वीर दास और ज़ी5 पर रिलीज होने वाली सिरीज़ ‘गॉडमैन’ भी अब इसके घेरे में है।

आपको बता दें की वीर दास, सालों से हिन्दू धर्म और इसकी संस्कृति पर कटाक्ष करते रहे है। इसके अलावा नेटफ्लिक्स पर इनके कई वीडियो में, भारत की खराब छवि, विदेशों में पेश करते हुए भी इन्हें देखा जा सकता है। वीर दास, मोदी के भी बहुत बड़े आलोचक हैं। 

वीर दास द्वारा आज किए गए एक ट्वीट के बाद लोगों ने और बढ़ चढ़ कर सवाल करना शुरू कर दिया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा था की, ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसने कॉमेडी की क्षेत्र में काम नहीं किया है, उसे एक कॉमेडियन की आलोचना या उसके ऊपर अपनी राय देने का कोई हक़ नहीं है।

आसान भाषा में उनका मतलब ये है की, कॉमेडियन को ही कॉमेडियन की आलोचना करने का हक़ है। अगर वीर दास का मापदंड यही है, तो धर्म की आलोचना का हक़ सिर्फ धर्म गुरुओं को होना चाहिये, नेताओं की आलोचना का हक़ सिर्फ नेताओं को ही होना चाहिए, और फिल्मों की आलोचना का हक़ सिर्फ फिल्म जगत से जुड़े लोगों को ही होना चाहिए। हास्यास्पद। 

मैं आपको बताना चाहता हूँ की अगर वीर दास अपने इन बातों को खुद के ही जीवन में उतार लें तो उनका कॉमेडी का करियर खत्म होने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। उसका कारण ये है की, 1 घंटे के शो में वीर दास द्वारा सुनाए गए चुटकुलों पर गौर करें तो आपको समझ आएगा की उनके चुटकुलों का 90% भाग या तो हिन्दू धर्म पर गैर ज़िम्मेदाराना व्यंग्य, राजनीतिक टिपन्नी,आलोचना और उनके पक्षपाती राय से भरा होता है।
इस ट्वीट के बाद लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया है की, हिन्दू धर्म पर आसानी से अपनी एकतरफ़ा राय और टिपन्नी देने वाले वीर दास ने इस्लाम या मुस्लिम धर्म गुरुओं पर आख़िरी बार कब चुटकुले सुनाए थे।  

दशकों से अपने धर्म का तिरस्कार सहते आए हिंदुओं द्वारा अब सवाल पूछ कर लोगों के वैचारिक दोगलेपन को उजागर करने का यह पहल बहुत ही प्रशंसनीय है। कई सालों से कॉमेडी, फिल्में और सीरियल के नाम पर हिन्दू धर्म के खिलाफ फूहड़ता बेची जा रही है। लोगों ने हिन्दू धर्म का मज़ाक बनाना या उसे गलत रौशनी में प्रस्तुत करना अपने आदतों में शामिल कर लिया है। सुरलीन कौर, वीर दास, कुनाल कामरा जैसे सैकड़ों लोग, आज के युवाओं के अंदर, कॉमेडी के नाम पर, हिन्दू धर्म के खिलाफ मीठा जहर घोलने की कोशिश करते हैं। चुटकुलों के साथ इन कटाक्ष को ऐसे परोसा जाता है की, उस वक़्त कॉमेडियन की घिनौनी मानसिकता को समझे बगैर, लोग खिलखिला देते है। 

हिन्दू व्यक्ति अपने स्वभाव से सहिष्णु होता है, जिसकी वजह से वो अपने धर्म पर हो रहे इन हमलों को सालों से नज़रअंदाज़ करते आया है। लेकिन इसका फायदा उठा कर ऐसे कॉमेडियन अपनी मर्यादा को लांघ जाते हैं। इन्हे हिन्दू धर्म का अपमान करना, इनका अधिकार लगने लगता है। चुटकुलों और शायरियों मे लपेट कर इन कटाक्षों से हिन्दू धर्म की छवि खराब करने की चौतरफा कोशिश की जाने लगती है।

आपको बता दें की कुछ दिनों से हिंदुओं द्वारा हो रहे इन विरोधों को कुछ लोग ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ को कुचलने जैसा बता रहे हैं। हालांकि इस्लाम के प्रति कोमल रुख और हिंदुओं के प्रति घृणात्मक राय रखने वाले इन लोगों के बात की कुछ खास अहमियत नहीं है। 

सुरलीन कौर विवाद मे इस्कॉन के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमन दास द्वारा दी गयी चेतावनी (“कोई भी आता है और घंटा बजा कर चला जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होने देंगे”) को हिन्दू समुदाय के कई लोगों ने काफी गंभीरता से लिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here