इतिहास में कोई भी वैक्सीन इतनी तेजी से विकसित नहीं हुई : डब्ल्यू.एच.ओ प्रमुख

ट्रेडोस ने कहा, "इस वैज्ञानिक उपलब्धि के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है क्योंकि इतिहास में कोई भी वैक्सीन इतनी तेजी से विकसित नहीं हुई है।

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डब्ल्यू.एच.ओ प्रमुख ट्रेडोस एडहोम घेब्रेयसिस। (Wikimedia Commons )

कोविड-19 महामारी को खत्म करने के लिए वैक्सीन की उम्मीद अब बढ़ गई है। यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस एडहोम घेब्रेयसिस का। उन्होंने कहा कि हालांकि वैक्सीन के साथ वो स्वास्थ्य उपाय भी अपनाने होंगे, जिनके कारगर साबित होने की पुष्टि हो चुकी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, डब्लूएचओ प्रमुख की यह टिप्पणी ड्रग बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका के सोमवार को यह कहने के बाद आई है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ विकसित की जा रही इसकी कोविड-19 वैक्सीन 90 प्रतिशत तक प्रभावी है। फाइजर और मॉडर्ना के बाद यह तीसरी प्रमुख कंपनी है जिसने आखिरी स्टेज के आंकड़े बताए हैं।

ट्रेडोस ने कहा, “इस वैज्ञानिक उपलब्धि के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है क्योंकि इतिहास में कोई भी वैक्सीन इतनी तेजी से विकसित नहीं हुई है। वैज्ञानिकों की बिरादरी ने वैक्सीन के विकास के लिए एक नया मानक निर्धारित कर दिया है। अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसकी हर वर्ग तक पहुंच के लिए एक नया मानक निर्धारित करना चाहिए, क्योंकि जिस तेजी के साथ टीके विकसित किए गए हैं, उनका वितरण भी इतनी ही तत्परता के साथ होना चाहिए।”

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गरीब और कमज़ोर देशों की समयस्या

उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जताई कि सबसे गरीब और सबसे कमजोर देशों को वैक्सीन पाने की दौड़ में कहीं रौंद न दिया जाए। डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन तक पहुंच बनाने के लिए कोविड-19 टूल एक्सेलेरेटर स्थापित किया है। अभी तक कोवैक्स फैसिलिटी में 187 देश वैक्सीन की खरीदी के लिए किफायती मूल्य, मात्रा और समय सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने के लिए जुड़ चुके हैं।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख के अनुसार, वैक्सीन, परीक्षणों और उपचार के लिए बड़े पैमाने पर खरीदी और वितरण करने के लिए 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल आवश्यकता है, जबकि अगले वर्ष 23.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि यदि चिकित्सा समाधानों को तेजी से और व्यापक रूप से उपलब्ध कराया जाता है, तो इससे 2025 के अंत तक लगभग 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक आय होगी।” (आईएएनएस )

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