रक्तदान से जुड़े मुस्लिम भ्रम को दूर करने में जुटे मुस्लिम युवा

रक्तदान की जरूरत को समझते हुए उत्तर प्रदेश के बरेली में मुस्लिम समुदाय से जुड़े, युवा बरेली सेवा क्लब संगठन ने इसे अपना अभियान बना लिया है।

Bareilly Seva Club of Muslim Community
युवा बरेली सेवा क्लब संगठन की ओर से केवल रक्तदान ही नहीं बल्कि और भी कई सामाजिक कार्य किये जा रहे हैं। (Pixabay)

By – विवेक त्रिपाठी

रक्तदान से जुड़ी मुस्लिम समाज की भ्रान्तियों को तोड़ने के लिए 15 युवाओं का एक मुस्लिम दल सक्रिय हो गया है। यह न सिर्फ रक्तदान करता है बल्कि समाज के उन लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है जो भ्रान्ति के शिकार या रूढ़िवादी विचारधारा के हैं। यह बात अलग है कि इनके द्वारा कहीं भी रक्तदान के लिए कोई शिविर नहीं लगाया जाता। लेकिन अन्य जगहों में होंने वाले रक्तदान में यह हमेशा आगे रहते हैं।

युवा बरेली सेवा क्लब संगठन के अध्यक्ष गुलफाम अंसारी ने बताया की मुस्लिम समाज में रक्तदान को लेकर काफी भ्रान्तियां हैं जिसे दूर करने के लिए हमारा समूह आगे आया है। हमारे संगठन ने अभी तक 200 से ज्यादा लोगों को रक्तदान किया है। हम जरूरतमंदों को रक्तदान करते है। कभी-कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है जब जरूरतमंदों को इन ब्लड बैंकों से वांछित ग्रुप का ब्लड नहीं मिल पाता है। ऐसे में हमारा समूह रक्तदान के लिए आगे आ जाता है। हम धर्म और जाति को लेकर यह कार्य नहीं कर रहे है। रक्त की रजरूरत किसी को भी पड़ सकती है। लेकिन मुस्लिम समुदाय में बहुत सारे लोगों में शिक्षा का अभाव है ऐसे में उन्हें समझाना पड़ता है। इसलिए कैम्प के बदले हम जरूरतमंदों को रक्त देने में विश्वास करते हैं।

क्लब के अध्यक्ष गुलफाम अंसारी न केवल खुद बल्कि अपने साथ संगठन के 15 से 20 मुस्लिम युवको को रक्तदान के लिए हमेशा तैयार रखते हैं। रमजान के दिनों में भी यह संगठन रक्त की जरूरत पड़ने पर दान के लिए आगे रहता है। युवा बरेली सेवा क्लब मुस्लिम युवाओं का सामाजिक संगठन है जिसमें ज्यादातर मुस्लिम युवा हैं। इस क्लब के युवा हमेशा लोगो की मदद के लिए तैयार रहते हैं। इस समूह के सदस्य जरूरतमंदों के पास पहुंच जाते हैं एवं उन्हें रक्त मुहैया कराते हैं।

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Bareilly Seva Club of Muslim Community
इस क्लब ने अभी तक 200 से ज्यादा लोगों को रक्तदान किया है। (Pixabay)

अंसारी ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान जब अस्पतालों में रक्त घट रहा था, ऐसे में कोरोना से ठीक हुए लोगों को प्रेरित कर रहे थे। इस कारण करीब 100 लोगों ने प्लाज्मा और रक्त देकर लोगों को जान बचाई।

कुछ दिन पहले कोरोना के चलते लॉकडाउन में एक गर्भवती महिला को अचानक खून की जरूरत आन पड़ी। उसका पति बहुत गरीब था। खाने के लिए भी पैसे नही थे। प्रसव पीड़ा के दौरान उसकी रक्त की जरूरत के लिए अध्यक्ष गुलफाम अंसारी को फोन आया और वे खून देने पहुंच गए।

गुलफाम बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान काफी कोशिश की गई कि किसी को खून की कमी से दिक्कत न हो। इसके लिए ब्लड बैंक के संपर्क में रहा गया। अंसारी बताते हैं कि संगठन के चंगेज खान, जुबैर खान, तफ्सीर अहमद, मंजर अली, राजा खान, मोमिन अल्वी, डॉ. अहमद खान, डॉ शाजेब अंसारी, आदिल यार खान, डॉ परवेज खान, बबलू जाफरी, उमैर खान, शादाब अख्तर, अंसार अहमद, अकील खान, सफदर अली लगातार जरूरतमंदो को रक्त उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहते हैं।

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क्लब की ओर से केवल रक्तदान ही नहीं बल्कि और भी कई कार्य किये जा रहे हैं। इसमें गरीबों को इलाज उपलब्ध करवाना, जरूरतमंदो को राशन, शिक्षा उपलब्ध करवाना और सरकार की ओर से मिल रही मदद के लिए लोगों को जागरूक करना भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि मजबूर सड़क पर होते हैं। हम उन लोगो को खाना और कपड़े की व्यस्था करते हैं। अंसारी कहते हैं कि भगवान ने हमको इंसान की मदद करने के लिए इस दुनिया मे भेजा है। लोगो की मदद करना इंसान अपना धर्म समझ ले तो कोई इंसान परेशान नही होगा और भगवान भी खुश होंगे। तब यह हमारी सच्ची इबादत होगी। (आईएएनएस)

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