देश, धर्म, संस्कृति और समाज के लिए समर्पित था दत्तोपंत ठेंगड़ी का जीवन : मोहन भागवत

दत्तोपंत ठेंगड़ी का जीवन देश, धर्म, संस्कृति और समाज के लिए समर्पित था। दत्तोपंत ठेंगड़ी ने जीवनभर जो तपस्या की उसके कारण वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि भारत के साथ एकाकार व्यक्तित्व थे: भागवत

मोहन भागवत Mohan Bhagwat
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत। (RSS, ट्विटर )

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को प्रसिद्ध विचारक और समाजशास्त्री दत्तोपंत ठेंगड़ी की जन्मशताब्दी पर उनके संसदीय भाषणों के संकलन का लोकार्पण किया। यहां डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक सभागार में ‘दत्तोपंत ठेंगड़ी: द एक्टिविस्ट पार्लियामेंटेरियन’ का विमोचन करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि उनका जीवन देश, धर्म, संस्कृति और समाज के लिए समर्पित था। दत्तोपंत ठेंगड़ी ने जीवनभर जो तपस्या की उसके कारण वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि भारत के साथ एकाकार व्यक्तित्व थे।

उन्होंने भारतीय परंपरा के शाश्वत तत्व के साथ तन्मयता स्थापित की। संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वर्ष 1964 से 1976 तक दो कार्यकाल के लिए राज्यसभा सदस्य रहे दत्तोपंत ठेंगड़ी के संसदीय जीवन को लेकर कहा, “दत्तोपंत जी जननेता थे, वे अनेक वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वे फैशनेबल विचारों में बहने वाले नहीं थे। वेद-उपनिषद् और सारी विचार सम्पदा उन्हें कंठस्थ थी।”

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मोहन भागवत ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी सर्वसामान्य लोगों की खुशहाली के लिए प्रयास करने वाले जनसंगठक थे। उन्होंने सभी जगह सार्थक हस्तक्षेप किया। कुल मिलाकर दत्तोपंत ठेंगड़ी का जीवन देश, धर्म, संस्कृति और समाज के लिए समर्पित था।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी, संघ संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार, गुरुजी और बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के सान्निध्य में रहे। उनका मन मष्तिष्क इन तीनों महापुरुषों के निकट का था। संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ठेंगड़ी के व्यक्तित्व को अनुकरणीय बताया। प्रभात प्रकाशन की ओर से प्रकाशित इस पुस्तक को डॉ.अनिर्बान गांगुली और नवीन कलिंगन ने संपादित किया है।(आईएएनएस)

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