अम्बेडकरवादी सोच के जरिए अपनों में ही फूट डालने में जुटे हैं ये पत्रकार!

By: Shantanoo Mishra 

देश जब अपनों के ही विभाजित स्वर से घिर रहा हो तब विदेशी ताकतों का जोर बढ़ना स्वभाविक है। और यह विभाजित स्वर किसी अन्य धर्म में से नहीं हिन्दू धर्म में ही उठ रहे हैं। पत्रकार दिलीप मंडल समय-समय पर ब्राह्मण समाज को गाली देने से नहीं चूकते। वह आरक्षण के नाम पर आंदोलन की घोषणा लिखने से भी नहीं चूक रहे हैं। एक ट्वीट में मंडल लिखते हैं कि “भारत के सेलेब्रिटीज़ इस समय दो ख़ेमों में बंट गए हैं। लेकिन अभी आरक्षण बचाने का जो आंदोलन होने वाला है, उसमें दोनों ख़ेमों में एकता हो जाएगी। या फिर वे चुप हो जाएँगे। हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर और अंबेडकरनामा के एडीटर डॉ. रतन लाल ने इसे ही “जनेऊ लीला” कहा है। #आरक्षण_बचाओ!” 

dilip mandal tweet arakshan bachao

एक और ट्वीट में ब्राह्मणों पर भड़ास निकलते हुए डॉ अंबेडकर का नाम लेते हुए लिखते हैं कि “इस प्रकार डॉ. अंबेडकर ने लिखा: “धर्मनिरपेक्ष ब्राह्मणों और पुरोहित ब्राह्मणों के बीच अंतर करना बेकार है। दोनों संबंधी हैं। वे एक ही शरीर की दो भुजाएँ हैं, और एक दूसरे के अस्तित्व के लिए लड़ने के लिए बाध्य है। ” – अननिहिलेशन ऑफ़ कास्ट (1936)”।

और इससे भी जब मन नहीं भरा तो उन्होंने डॉ. अम्बेडकर द्वारा कहे गए एक और कथन को फिर से दोहराया कि “हिन्दू, सामाजिक व्यवस्था की पवित्रता को धारण करते हैं। जाति एक दिव्य आधार है। इसलिए आपको उसकी पवित्रता और दिव्यता को नष्ट करना चाहिए जिसके साथ जाति निवेशित हो गई है। अंतिम विश्लेषण में, इसका मतलब है कि आपको शास्त्रों और वेदों के अधिकार को नष्ट करना चाहिए। – डॉ. अंबेडकर”। 

मंडल के साथ एक महाशय हैं सुमित चौहान जो की ‘The Shudra’ मीडिया के शुरुआती सम्पादकों में से हैं। पहली बात तो यह कि नाम से इनकी नीयत पर शक होता है। साथ ही इन्होने ने भी ब्राह्मण समाज पर तंज कसते हुए ट्वीट किया था कि “अच्छा शादी-ब्याह में आरक्षण लागू नहीं है। अगर सब बराबर हो गए हैं तो बताइए कितने दलितों और सवर्णों में शादियां हो रही हैं? Matrimonial Adds में जाति क्यों लिखते हो? अंतर-जातीय शादी करने पर लड़के-लड़की को मार क्यों देते हो? अपनी ही जाति में शादियां क्यों करते हो? #आरक्षण बचाओ”. 

sumit chauhan tweet arakshan

देखने वाली बात यह भी है मंडल बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी से खासा प्रभावित हैं, आरजेडी ने भी आरक्षण बचाओ पर ट्वीट करते हुए लिखा था कि “देश की 70% आबादी से अन्याय कर के, उन्हें अलग थलग रख के, अशिक्षित, कमज़ोर और पीड़ित रख कर भारत कभी भी विश्व में सर्वोच्च राष्ट्र बन नहीं पाएगा! अगर भारत को शक्तिशाली बनना है तो देश की 70% आबादी बहुजनों को आरक्षण का लाभ देना ही पड़ेगा!” 

अगर ऐसा है तो रिक्शा चलाने वाले का पुत्र कभी आईएएस न बनता या एक दूधवाले की बेटी न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर जज बनने का सपना नहीं देख रही होती।

देश में एक ऐसा भी तबका है जिन्हे आपस में मतभेद फ़ैलाने में खासा मज़ा आ रहा है। अगर मान भी लें कि सरकार आरक्षण यानि reservation खत्म कर रही है तो उसके पीछे कारण क्या है यह सोचने की बात है? सोचने की बात यह भी है कि कम अंक पाकर भी आप बड़े विश्वविद्यालय में दाखिला पा सकते हैं, जिसके लिए सामान्य श्रेणी का विद्यार्थी दिन रात खपा देता है। मगर अंत में उसे वह फल नहीं मिलता जिसका वह हकदार है। 

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इस पर भी सोचिए! और यह भी सोचिए कि जो लोग आरक्षण के नाम ब्राह्मण व सामान्य श्रेणी के जाति पर हमला कर रहे हैं उसके पीछे क्या मकसद है? अन्यथा आज ट्विटर पर ‘हिन्दू-सिख’ एकता की बात चल रही है, कल देश में अलगाव की बात न शुरू हो जाए आरक्षण पर बहस या टकराव होना यह किसी का अपना मत है किन्तु आरक्षण बचाओ के नारे के तले किसी जाति को गाली देना और भला बुरा कहना यह आपको कितना सही लगता, यह आपके सोच पर निर्भर है।    

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