प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दो दिन पहले अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहानी कहने के महत्व को रेखांकित करने के बाद, लखनऊ के रहने वाले एक ‘दास्तानगो’ (कहानीकार) 8 अक्टूबर को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। 33 साल के हिमांशु बाजपेयी, ‘खुसरोज रीवर ऑफ लव : कॉस्मोपौलिटैनिज्म एंड इन्क्लूशन इन साउथ एशियन ट्रेडिशंस’ विषयक डेढ़ घंटे लंबे सत्र में भाग लेंगे।
कार्यक्रम में हिमांशु बाजपेयी की दास्तानगोई और पाकिस्तानी मूल के एक अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अली सेठी द्वारा खुसरो की काव्य रचनाओं की प्रस्तुति के साथ शब्द और संगीत की धुन की जुगलबंदी देखने को मिलेगी।
प्रदर्शनों को मध्य-पूर्व अध्ययन के प्रोफेसर मरे ए. अल्बर्टसन और हार्वर्ड में इंडो-मुस्लिम और इस्लामिक धर्म और संस्कृति के प्रोफेसर अली असानी द्वारा विश्लेषण और टिप्पणी की जाएगी।
हिमांशु ने कहा, “प्रोफेसर असानी हमारे साथ एक लाइव इंटरेक्टिव सेशन को भी मॉडरेट करेंगे जहां हम दुनियाभर के दर्शकों के सवाल लेंगे। इस अनोखे कार्यक्रम का हिस्सा बनना सम्मान की बात है जिसे दुनियाभर में देखा जाएगा।”
‘दास्तानगोई’ मौखिक कहानी कहने का मध्ययुगीन काल की कला का एक रूप है।
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हिमांशु ने 2014 में मध्ययुगीन मौखिक कहानी कला के दास्तानगो के रूप में अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लिया है, जिनमें दुबई और तुर्की में हुए कार्यक्रम भी शामिल हैं।
उन्हें फरवरी, 2020 में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ, जहां उन्होंने परफॉर्म भी किया था।(आईएएनएस)