संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के हो रहे पतन के बाद भी इस आतंकी समूह का फिर से उभरना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी विंग के प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोव ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्राथमिकताओं में हो रही प्रतियोगिता के बावजूद, सदस्य देशों का आतंकवाद को रोकने पर फोकस करना और एकजुट रहना निर्णायक है।
उन्होंने कहा, “हालांकि आईएस ने महामारी का फायदा उठाकर खुद को फिर से संगठित करने और अपनी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण रणनीति नहीं बनाई है।”
एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी समूह ने स्थानांतरित करने और संचालित करने की क्षमता बनाए रखी है, जिसमें सीमा पर उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि करीब 10 हजार आईएस लड़ाके हैं, जिनमें से ज्यादातर इराक में हैं। यह दुनिया के लिए एक बड़ा, लंबे समय तक रहने वाला खतरा पैदा कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, “वे रेगिस्तान और ग्रामीण इलाकों में छिपी छोटी-छोटी सेल में रहते हैं और दोनों देशों के बीच की सीमा के पार जाकर हमले करते हैं।”
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने उन महिलाओं और बच्चों की अनिश्चित स्थिति के बारे में भी बात की, जिनके इन आतंकवादियों से संबंध हैं। इसमें खासकर के अल-होल (सीरिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर) में रहने वाली महिलाएं-बच्चे शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि, “आईएस की क्षेत्र को लेकर हुई हार के करीब 2 साल बाद भी 27,500 विदेशी बच्चे पूर्वोत्तर सीरिया के शिविरों में हैं। इनमें इराक के अलावा करीब 60 देशों के 8,000 बच्चे भी शामिल हैं। इनमें से 90 फीसदी बच्चे 12 साल से कम उम्र के हैं।”
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वरोन्कोव ने पिछले अगस्त में फिलीपींस में महिलाओं द्वारा किए गए दो आत्मघाती विस्फोटों का भी जिक्र किया। (आईएएनएस)