खालिस्तान आतंकी, भारत और कनाडा (Canada) दोनों राष्ट्रों के बीच हमेशा से उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा बना हुआ है। खालिस्तान आतंकवादियों ने ही 35 साल पहले एयर इंडिया के विमान पर बम विस्फोट किया था, जो की हवाई यात्रा के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा हमला था। जिसमें 304 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। आप सोच रहे होंगे क्यों फिर एक बार खालिस्तान की बात की जा रही है? आखिर मुद्दा क्या है?
यह जान लेना आवश्यक है कि, भारत और कनाडा के बीच सिखों के जनसंख्या का अंतर ज्यादा नहीं है। जिस वजह से कनाडा भारत के लिए खालिस्तानी प्रोपगेंडा का केंद्र बना हुआ है और इसलिए कनाडा में खालिस्तान (Khalistan) के बढ़ते प्रभाव ने भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। अभी हाल ही में Terry Milewski CBC कनाडा के प्रसिद्ध पत्रकार ने खालिस्तान परियोजना के 50 वर्षों के लिए अपनी नई पुस्तक Blood for Blood का विमोचन किया है। इस पुस्तक को एयर इंडिया बमबारी की दर्दनाक तिथि 21 जून से पहले प्रकाशित किया गया था।
Terry को उनकी गहन जांच रिपोर्ट और एयर इंडिया बम विस्फोट पर वृत्तचित्र (सिनेमा के रूप में दिखाना) के लिए जाना जाता है। उन्होंने बताया था कि कैसे कनाडा के राजनेताओं और खुफिया एजेंसियों ने उपलब्ध सबूतों से आंखें मूंद ली थी और आरोपियों को बरी कर दिया गया था। टेरी की पुस्तक के प्रकाशन की खबर जैसे ही ट्विटर पर पोस्ट की गई की कुछ ही अंतराल में खालिस्तानी समर्थक गाली – गलोच करने लगे। अपने आपत्तिजनक ट्वीट्स से प्रसिद्द पत्रकार पर हमला करने लगे। इसके अतिरिक्त जिन लोगों ने भी टेरी को बधाइयां दी उन्हें भी खालिस्तान समर्थकों द्वारा ट्रोल किया गया।
खालिस्तान को लिबरल सरकार का समर्थन पहले से ही प्राप्त था। लेकिन NDP के जगमीत सिंह (Jagmeet Singh) से मिले समर्थन के कारण हाल के वर्षों में इंडो-कनाडियन लोगों के साथ बातचीत में बेहद आक्रामक और यहां तक की हिंसक प्रवृत्ति के भी हो गए हैं। जगमीत सिंह एक वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कनाडा की न्यू डेमोक्रेसी पार्टी के नेता हैं।
भारतीय कनाडाई (Indo – Canadian), जो भारत विरोधी, हिन्दू विरोधी ट्वीट्स का विरोध करते हैं। उन्हें इन खालिस्तानियों द्वारा परेशान किया जाता है और कई हद तक हिंसक घटनाएं भी देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक घटना Feb 2021 के अंत में देखने को मिली थी। इंडो – कनाडियन जो बड़े पैमाने पर गैर राजनीतिक नागरिक हैं, उनके द्वारा कनाडा में लगभग 5 लाख एस्ट्रा जैनेका वैक्सीन भेजने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने के लिए ब्रैम्पटन ओंटारियो सीए में एक इंडो कनाडियन कार रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में बच्चे, बड़े उनका पूरा परिवार सब शामिल थे। लेकिन जिस उत्सुकता से साथ यह रैली शुरू हुई थी, खालिस्तानियों की आक्रामकता के चलते यह उस दिन का सबसे बुरा दिन था। खालिस्तान समर्थकों की भीड़ ने रैली पर हमला कर इंडो – कनाडियाई लोगों को अपने कब्जे में ले लिया। लोगों में हिंसा और डर का माहौल कायम कर दिया गया था।
क्यों कनाडा के तथाकथित लोग भारत – विरोधी नारों को उजागर कर रहे हैं? वहां के इंडो – कनाडियन लोगों को परेशान कर रहे हैं? यहां तक कि वहां के स्कूल अपने बच्चों को भारत के खिलाफ नफरत सीखा रहे हैं।
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हम सभी जानते हैं कि हाल ही में भारत ने तीन कृषि कानून विधेयक पेश किए हैं, जिसे 2020 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित कर दिया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य कृषि उपज की बिक्री संबंधित मौजूद कानूनों से छुटकारा दिलाना है और यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले। जिस वक्त यह विधेयक पास हुआ था, तब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने खालिस्तान वोट बैंक के दबाव में, भारत के नए कृषि कानूनों के विरोध में भारत की आलोचना की थी। और हमनें देखा था कि तथाकथित खालिस्तानियों ने भी भारत में हिंसा को जन्म दिया था और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा भी फहराया था।
जिस राह पर कनाडा और वहां के खालिस्तानी आतंकवादी चल रहे हैं ऐसी स्थिति में भारत सरकार को कनाडा में पनप रहे “ब्रेक इंडिया” खालिस्तान गुटों के खिलाफ गंभीर संज्ञान लेना होगा। क्योंकि खालिस्तान आतंकवादी भारतीय कनाडियन जो भारत का समर्थन करते हैं, उन्हें और उनके परिवारों को खतरा पहुंचा रहे हैं। उनके अंदर एक डर का माहौल पैदा कर रहे हैं। उस रैली का एक हिस्सा रहे एक भारतीय कनाडाई ने कहा कि “कनाडा में रहने के 20 वर्षों में, मैं अपनी सुरक्षा को लेकर इतना भयभीत कभी नहीं हुआ।”
जब तक भारतीय सेना, पाकिस्तान (Pakistan) जो खालिस्तान को समर्थन दे रहा है। उनके लिए एक मास्टर माइंड और न्यूक्लियस बना हुआ है तब तक ये भारत विरोधी ताकतें विदेशी धरती पर पनपती और फलती – फूलती रहेंगी।