भारत ने माना कि भारत-चीन संबंधों को काफी नुकसान पहुंचा है और बीजिंग की बेईमानी इसके लिए जिम्मेदार है। चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ी की तैनाती की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोय इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन इंटरेक्टिव सत्र के दौरान कहा कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इतनी संख्या में सेना तैनात करने के पीछे पांच अलग-अलग तरह की वजहें बताते हुए सफाई दी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की तरफ से द्विपक्षीय समझौते के इस उल्लंघन ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।
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उन्होंने कहा, “हम आज चीन के साथ हमारे संबंधों के शायद सबसे कठिन दौर में हैं। निश्चित तौर पर पिछले 30 से 40 साल या आप कह सकते हैं कि उससे भी ज्यादा समय के दौरान यह सबसे ज्यादा कठिन समय है।”
जयशंकर ने कहा कि हम इस बात पर स्पष्ट हैं कि एलएसी पर शांति और बराबरी ही संबंधों की प्रगति का आधार है। सीमा पर ऐसी स्थिति के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि अन्य सभी क्षेत्रों में जीवन की गतिविधि को आगे बढ़ाएं। यह गैरवाजिब है।
विदेश मंत्री ने कहा, “हमने 1988 में ऐसी समस्या का सामना किया है। यह हमारे रिश्ते में एक अवरोध था। तब से हमारे बीच मतभेद थे, लेकिन मोटे तौर पर संबंधों की दिशा सकारात्मक रखी गई थी।”
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उन्होंने कहा, “यह सब इस तथ्य पर आधारित था कि हम सीमा के मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे थे।”
जयशंकर ने ये भी कहा कि इस साल 15 जून को हुए गलवान घाटी की झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं, जिसने पूरे देश की भावनाओं को बदल दिया है।
जयशंकर ने कहा कि बड़ा मुद्दा यह है कि रिश्ते को पटरी पर कैसे लाया जाए। उन्होंने कहा, “हमारे पास संचार के कई स्तर हैं। संचार समस्या नहीं है, मुद्दा यह है कि हमारे बीच समझौते हैं और उन समझौतों पर गौर नहीं किया जा रहा है।” (आईएएनएस)